बालक भजन संग्रह | Balak Bhajan Sangrah

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Balak Bhajan Sangrah by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| (७) ज्ञान चसिकरो, षरो षदा दिलमे जका नाहीं पार मेँ होगा भमनां ॥ जिनक ॥२॥ हों कथिकीं करुणा धारे पालो दया पमे जियो। মাইন জীব समो समाना ।जिनवर ०३। श कमकरो तपकर्‌ जारे, गायो सदो, जिन गृण भला । “बालक” शिवनारीको होय करना जिनव१ ॥ ४१ नं० १५ निनबर छो अरजी । चा ( तरकारी लेलो मानन तो आई ) जिनराजा खामी अरज हमारी सुन নাতি ॥ ঈ ॥ दीनदयाल दयाके सागर, सब जीबन उपकारी | मवताएः से ग्ग रो जग “तारक जस घारी। जी गिन०॥१॥ च॒तुर्गति में अ्गते भूमते,अगणित, दुख हम पाये । तारण तरणु विरद हम युन शरेण तिहारी भये




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