दंडी दम्भ दर्पण | Dandi Dambh Darpan

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Dandi Dambh Darpan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€ ६ ) ' प्रत्यक्ष बातों-है कि जब वह एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र को जाते हैं तव उनके आगे या साथ में भोजनादि की सामिग्रीओं से भरी हुईं शक्रदि कार्ये चलती है और जहां कही भिक्ताक्ष- उन को नहि मिलता ई तद्य उनके अध श्रेद्धालु-मृहस्थ उन्हें सरस भोजन वना कर दे देते हैं आर बह बड़े मजे से माल उड़ांते हैं; देखो तुम्हारे ही दंदी लाभ विजय जी “ स्तवनावत्ती ” ग्रंथ की पृष्ठ ? ७२पंकित ७ मीस लिखते हैं कि - संवेगी विहार करते हैं जद (जब) शहरुत -आदमी- साथ देते हैं वोक वगरे (ले चलने ) हूँ फेर सजल पर घर न होने से दाल वारी गरम पानी करके .संजे में खाते पिलाते इच्छांनुकूल ठिकाने पहचाते हैं अ ( यह ) पाप कहां छटेगा 5 - पुन! देखो-उपस्युक्त ग्रे की ही पृष्ठ १७३ पंक्ति दूसरी से पेम बिजय जी आगरे आये गये आदमी




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