युगलागुलाय | Yuglagulay

Yuglagulay by बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय - Bamkim Chandra Chattopadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(৭) हुआ देखते ही उस कागज के पढ़ने लूमी । एक बार के पाठ से उसका कुछ अथे प्रकट नहों हुआ | फिर उसने उसके पएदा बार भार पढ़ा; पहले ही उसका कलेजा घक्क से हे। उष्टा । पत्र आधा था, इसलिए पूरा पूरा अथे विदित न हुआ, परन्तु ऊे। कुछ पढ़ा गया वद्द यद्द था३-- ज्योतिषीय गणना की गई ००० ०० ৬৯০ ! दिरिण्मप्री के तुल्य सोने की सृतिं कटे बल - 3 विवार सेने पर भयानक विपद्‌ म्म उ ४४ परूपर का स्तात्‌ | ता 18472 हां ऐो सकता है... ৪৫৮ এ, ৪৪ 4, 5৫৪ | दिरण्मयी किसी भावी चिपद्‌ की आद्यंका करके सदम गई। परन्तु उसने किसी से कुड न कद्‌ कर स्वयं हौ प्न-खंड का चड़े यल्न के साथ रख दिया ।




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