श्रृंगार शतक | Shringar Shatak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
152.28 MB
कुल पष्ठ :
544
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
महाराज भर्तृहरि लगभग 0 विक्रमी संवत के काल के हैं
ये महाराज विक्रमादित्य के बड़े भाई थे और पत्नी के विश्वासघात
के कारण इनमे वैराग्य उत्पन्न हुआ
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हे (५ )
कामेन विजितों ब्रह्मा, कासेन विजितों ।
कासेन विजितः शम्सु, शक्त: कामेन निर्जितः ॥
_ अर्थात् कामदेवने ब्रह्मा, विष्णु, मदेश और सुरेश-इन
चारोंको जीत लिया । जब भगवान् कामदेवने ऐसों-ऐसोंको
हो अपने वशरमे करके, मन्माने नाच नचाये, तब और किस की
कही जाय? साराँश यह, भगवान, कामदेव सबसे अधिक
बलवान, हैं , इसीसे कवि महोदय, सब देवताओंको छोड़
सगवान् कामदेवकों ही नमस्कार करते हैं ।
पाध्वात्य विद्वानोमेंसे एंक गोथे नामक मदापुरुष कहते
हैं 15 8. 70896, का. प्रा08एठ फिपडॉड
फेक 13 ब्हामदेव खदा छल करता हैं, जो उखका
विश्वास करता है, वह घोखा खाता है । कोई कुछ कहे, दम
तो यही कहेंगे कि, खुबसूरतीमें बड़ी झमता है। खूबसूरती
पुरूष को अपनों ओर उसी तरह खींचती है ; जिस तरह चुम्बक
पत्थर लोहेको खींचता है। पोप महदोदयने कहा भी है--
पक्का पड 8 डात प्रात,” सुन्दरता एक
बालके द्वारा भी दमको अपनी ओर खींच सकती है। चनिंग
ं सद्दोद्य भी कहते पड 25 , का. का .
68806. सौन्दयं की सत्र सत्ता है । मतलब यह है, कि
पुरुष सौन्दर्य का दाख है। जिसमें भी, बक़ोठ ढावेठ.
महाशय के 5, 8, 9 फ़ाणाा8ाी 068760+
1602 साध्वी स्री संतारका सब्वत्तिम पदार्थ है ; अतः ऐखे
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