हिंदी नीति काव्य धारा | Hindi Niti Kavya Dhara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32.34 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हद लसवलििसिद, न पिन सिससििसिसििशि किए न कक
. की सतसइयों में ।
. हिस्दी नीति-काब्यधारा
एक-सी नहीं है। किसी में युगानकूलता कम है तो किसी में अधिक । इसके साथ ही सार्व-
कालिक या शाश्वत सीति की बातों का भी इसमें समावेश है, विशेषतः आदि, भक्ति और
आधुनिक युग में युगानूकूल नीति का प्राधान्य है, पर भक्ति और रीतिकाल में तात्कालिक से
कम ध्यान सार्वकालिक या शाश्वत नीति पर नहीं है । भक्तिकाल में जीवन के प्रत्येक पक्ष की
ओर संतुलित दृष्टिकोण होने के कारण ही सम्भवतः ऐसा हुआ है, पर रीतिकाल में शाश्वत
नीति-कथन संतुलित दृष्टि का परिणाम न होकर कदाचित् अनुकरण या पूर्ववर्ती बातों को
नए आवरण में कहने के प्रयास का ही फल
_.. इस प्रकार हिन्दी का नीति-काव्य युग के साथ रहा है, यद्यपि इसके साथ ही
सार्वकालिक या शाश्वत नीति को भी यथधावसर--विशेषतः भक्ति तथा रीतिकाल में--स्थान
मिलता रहा है ।
.... यहाँ तक तो भावों और विचारों की बात थी । अभिव्यक्ति-पक्ष भी युग से अप्रभावित
नहीं रहा । विशेषत: अप्रस्तुतों पर युग का प्रभाव काफी दिखाई देता है, यहाँ तक कि
आधुनिक युग के नीतिकारों ने “रेल का सिग्वल' और 'इंजन' आदि को लेकर अन्योक्तिमाँ
भी लिखी हैं । मोटर, बिजली तथा इंजेक्शन आदि आधुनिक आविष्कारों के उदाहरण तो
बहुत अधिक लिए गए हैं ।
यों तो हिन्दी नीति-काव्य अंशतः प्रबंध-काव्यों में भी मिलता है, किन्तु उनका प्रणय'
मुख्यतः मुक्तक रूप में हो हुआ है । मुक्तक रूप में प्राप्त हि्दी नीति-काव्य को निश्लांकित
तीन वर्गों में रखा जा सकता है---
(क) नीति की फुटकर कवबिताएँ- जेसे गंगे, बीरबल, टोडरमल आदि प्राचीन
. और रामनरेश लिपाठी, मैथिलीशरण गुप्त, कन्हैयालाल पोहार एवं रामचरित उपाध्याय
आदि नवीन कवियों के नीति के फुटकर छंद ।
. [ख) नीति की सुक्तक कविताओं के संग्रह -- इसके कई भेद किये जा सकते हैं
१. सतसई रूप में संग्रह, जेसे व द-सतसई'
२. सतसई से बड़े संग्रह, जेसे महात्मा भगवानदीन के नीति के दो
३.. सतसई से छोटे संग्रह, जैसे “रहीम दोहावली”, छल्लसाल की 'नीतिमंजरी'
मीराँ का “अन्योक्तिशतक”, वितययत्ति की “अस्योक्तिबावनी”, केवलकृष्ण शर्मा की 'सीसि-
पंचीसी' आदि ।
४. किसी विशेष युग, समाज या वर्ग को दृष्टि में रखकर किये गये संग्रह, जेसे
गुप्त जी की 'भारत-भारती', शिवशंकर मिश्र का “सदाचार-सोपान”, रामप्रसाद तिवारी का
सुता-प्रबोध
(ग,) अन्य विषयक सुक्तक कविताओं के साथ संगृहीत . नोति कविताएँ--इसके भी
केई भेद किए जा सकते हैं--
१. अन्य विषयक सतसइयों में संगृहीत नीति कविताएँ--सतसइयों के विषय के
आजाद पर इसके कई भेद हो सकते हैं । प्राप्त सतसइयों के आधार पर प्रमुख भेद निस्नां-
त हैं--
भ) भक्ति-विषयक सतसई संग्रहीत जसे तुलसी सतसई' नम
(आ) स्ंगार-विषयक सतसेई में संगृहीत, जैसे बिहारी, . मत्िराम या. भूपति,
ति. आदि
कह) वीर.रस की सतसई में संग्रहीत, जैसे वियोगी हरि की “वीर सतसई' में । ति
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