कारावास | Karavas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कारावास $ १७
मुक्त, जैसे यह सब अनेक वार, अनेक तरह उन्हें देखने; सुनने 'और जामुने
को मिला हो। सब जाना हुमा और सब्र समझा हमा दा |
राजरथ में ही वृद्ध दम्पती को उनके রি पर पहुंचा दिया: বু
या। समारोह के समय बकुल जितना হি उससे कैदी अधिक उसे
राजनीति के इस घिनौने चक्र से धुणो,हुई হা दि ओऔछा,/“छिछला ओर
धिनीना है यह् सवं ! ससत्य को सत्य भर पि
को पुष्यके रूपमे प्रचारिव करका 1 छल की कर्मलस- से लिप चहरे
स्वर्णंजद्ित मुकुट धारण करना 1
मन ने कितनी हो चार चीखकर विद्रोह कर देता चाहा शा--यह सब
असत्य है ! केवल टस !*
पर लगा था कि मूर्खता हीगी। असंख्य लोगों के सामने जिस तरह
वहत्य फो स्त्य प्रतिष्ठित किया गया है, वया उस तरह सहज ही सत्य को
उद्घाटित किमा जा सकता है ? और क्या वकुल की दकलौती मावाज इस
मसत कै कोलाहल भौर जय-जयकार मे भुनो जा सक्तो তু? असंभव }
और इस राजनोतिप्रस्त वातावरण में वया सत्य इतना शव्तिसस्पन्न
रह गया है कि वह असत्य को उस तरह उद्घादित कर सके ? लगा था
कि नहीं । कैसी बाध्यता मौर कमी यवण स्थिति है यह ! सत्य--असत्य
का मोहताज होकर रह गया है। पाचक को तरह चाव से खड़ा भिक्षु और
कषक्षादानदेरहेरहु वे हय, जो राजनीठिके कलुष से भरे हुए हैं या कि
केवल कलुप की राजनोति वन चुके हैं।
सभा-समाप्ति के साथ ही जब वह निवास की ओर चला, तो रथारुढ़
होते समय हो सूचना मिली थी उसे-- सम्राठ स्मरण कर रहे हैं
गुप्तचर 1
भोर बकुल ने रध पर रखा पांव खोच लिया धा। चुपचाप चल पड़ा
था मगधराज के भेंट-कक्ष की ओर। अब कौन-सा दायित्व सौंपा जायेगा
उसे ? क्या कोई और हत्या करवायी जायेगी उससे ? पर अब बदछुल वह
सब नही करेगा।
किन्तु जो कुछ सोच रहा है, वह कह सकेगा बफुल ? मन ने पृ १
उत्तर में पुनः शून्य से भर उठा चह। यह शूब्प नतो सोचने में
सामध्येवान है, न समझने में। शब्दहीन है वहू, কিনল হি ! इसी
खितता को संजोए जा खड़ा हुआ था मयधघराज के सामने ६ दे पीठ सोड़े हुए
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