उतराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन | Utradhyyan : Ek Samikshatmak Adhyyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
600
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जलिप्मयाक्षुऋतसणत
प्रथम खण्ड
प्रकरण ; पहला पु० १-२५
१. श्रमण और वंदिक परम्पराएँ तथा उनका पर्वापर्य ?
श्रमण-सा हिंत्य १
वंदिक-वाङ्मय 5
: श्रमण-साहित्य के अभिमत पर एक दृष्टि ३
वेदिक-वाडमय के अभिमत पर एक दृष्टि ३
जेन और बौद्ध ४
` भगवान् पाश्वं ४
अरिष्टनेमि ७
२. श्रमण-सस्क्ृति का प्रागऐतिहासिक ग्रस्तित्व १०
: वात्तरशन मुनि--वातरशन श्रमण १०
केशो ११
: ब्रात्य १२
-व्रात्य-काण्ड के कुं सूत्र १३
: अहन् १६
: अमुर भौर अहत् १७
अघुर ओर वेदिक आयं १८
` अयुर भौर आत्म-विद्या २०
: सास्कृतिक विरोध २१
- पुरातत्त्व २४
प्रकरण ; दूसरा २६-५९
१. श्रमण-संस्कृति के मतवाद २६
२. श्रमण-परम्परा की एकसूत्रता और उसके हेतु श्द
: परम्परागत एकता २९
: मगवान् पाश्वं और महात्मा बुद् २१
: गोशाछक और प्रणकष्यप ३२
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