पुरातन-जैन्वाक्य-सूचि | Puratan-Jainvakya-Suchi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बस्थ-संके ल-सूच्ती १५६
জজ কবির নন ----ज््न्ह 7 उहह
योर. थोस्लामि { सतुति ) दशअक्त्याविसंप्रह, झोलापुर
दग्बस,री. दब्यसहावर्मगणक-टीका माशिकचम्गतस्यमासा, कल्यई
वृव्बस.शय.. दव्यसहालग्यचक्त मारिकचन्द्र प्रन्थमाला অঞ্জন
হন বতরজারাহ ( ह्रण्बसभ ह ) रायचन्द्र-जेनशास्वबाज्ा, पस्वई
दव्बश्ंटी,. दृव्यसंगढ-टीका रायचन्द-जेनशास्त्रमाक्षा, बल्यई
दंसखप्ा. वंस्सुपाहुड ( वर्शनप्र/क्षल ) पदपराभूवादिसपद, भा. म््थमाला
दंसशपा,टी... बंसखपातुद टीका क +
दंसणसा.. दंखणलार (इशंबसार ) जैनप्रन्थ-रत्ताक्र-कार्याद्य, बस्वई
धम्मर. धम्मरसायणु(धर्मरसायन, सिद्धान्तसारादिसिप्रह, मा० प्रन्थमाल्ञा,
धक्ला. घक्ला-टीका हस्तलिक्षित, जैनसिद्धान्तववन, आरा
न्याय. न्यायङुमुदचन्दर मारिकचन्द दि०जैनप्रन्थमाला, वस्थई
पब्चछिमलं.. प+ेछमखंध(पश्मिम्स्कन््थ) जयघवलन्तगंत, इस्तक्षिक्षिव, आराध्रति
परम.टी. परमप्वयास-टीका रायचन्दजैनशाल्व॒माला, बब्यई
রে 9 परमप्पयाआपर खात्मप्काश) रायचन्द्रजनशास्त्रमाद्का, অক্ষ
নব.
पवयणं तत्तव. परबयणसार-लर्बप्रदीपिकाषुत्ति
पत्रयण,ता.वू.. पबयशुसार-सात्पअंजुत्ति
प्रथशुसा, पवसशलुसार (प्रदयनसार)
प्रभेयक, সমবক্ধনজলা হত
पंचगु, भ. पंचगुरुभक्ती (भक्ति)
पचस्थि. पंचत्थिपाहुड ( पंचास्तिकाय)
पंचत्थि.त.वृ.. पंचत्यिपाहुड-तरवश्र्दपिकाबत्ति
पंचत्थि.ता.ब... पंचत्थिपादुड-तात्वयं कि
पवस. पंचलंगढ़ ( पंचसंग्रह )
पंचाध्या. पंचाध्यायी
पा. दो.
पाहू. दो. | ঘা
ध्रा. चु. प्रायश्वित्तवूलिका
সপ
वा. अगु, बारस गुपेकल्ला (द्वादशानुग्रेक्षा)
বাতা, बोधपाडुड (सोध पा अत)
बाधपा.टी.. योधपाहुड-टीका
से. आरा. भगवदी आराह(घ)शथा
भावति. भावतिभंगी ( भावत्रिभंगी )
रायचन्दू-जैनशाखमाला , बरव
११ 9१ १
११ ११ ५१
निर्णयसागर प्रेस, बस्चई
दशभक्त्यादिसंप्रह, सोशापुर
रायचन्द्र-जैनशाश्रमाला, बम्वई
११ ११ ११
षष् ४१ षच
हस्तलि., पं. परमानन्द शास्त्री ,बीरसेवाम्ंविर
पं. मच्खनल्ञाल-कृत-भाषा टीका-सहिल
अम्बादास अकरे दि० जैन अंथमाला, कार जा
प्रायश्वित्तसप्रह, मा० दि. जैनमन्थमाला
पटप्राशृतादिसंप्रद, मा० दि. जैनप्रन्थमाला
११ ११ १
षे ष् के ४ |
श्रीदेवेन्द्रकीि-वि. जैनमन्थम्ाला, कारंजा
भावसंप्रहादि. मा, दि. जैनप्रन्थमाला
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