राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ-सूची | Rajasthan Ke Jain Shastra Bhandaron Ki Granth-Suchi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ-सूची  - Rajasthan Ke Jain Shastra Bhandaron Ki Granth-Suchi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कस्तूरचंद कासलीवाल - Kasturchand Kasleeval

Add Infomation AboutKasturchand Kasleeval

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ७ ) किया जा रहा है और शीघ्र ही करीय २५०० पदों का एक वृहद्‌ संग्रह प्रकाशित करने का बिचार है । जिससे कम से कम यह तो पता चल सकेगा किं जेन विद्वानों ने इस द्विशा में कितना महत्त्वपूर्ण कार्य किया है । गुटकां का महच-- घास्तव मे यदि दैला जावे तो जितन। भी महतत्वपुणं एवं श्रनुपलब्ध साहित्य मिलता है उसका अधिकांश भाग इन्हीं गुटकों में संग्रहीत किया हुआ है। जेन आआबकों को गुटकों में छोटी छोटी रचनायें संग्रहीत करवाने का बडा चा था । कभी कभी तो बे स्वयं ही संग्रह कर लिया करते ये श्रौर कभी अन्य लेखकों के द्वारा संग्रह करवाते थे। इन दोनों भण्डारों में भी जितना हिन्दी का नबीन साहित्य मिला है उसका आधे से अधिक भाग इन्हीं गुटकों में संग्रह किया हुआ है। दोनों भण्डारों में गुटकों की संख्या ३०४ है। यद्यपि इन गुटकों में सबंसाधारण के काम आने वाले स्तोत्र, पूजाये, कथायें आदि की ही अधिक मंस्या है किन्तु महत्त्वपूर्ण साहित्य भी इन्हीं गुटकों में उपलब्ध होता है । गुटके सभी साइज के मिलते है | यदि किसी गुटके में १८-२० पत्र ही दै तो किसी किसी गुटके में ४२८-५०० पत्र तक हैं । ठोलियों के मन्दिर के शास्त्र भण्डार के एक गुटके में ६५४ पत्न हे ज्ञिनमें ४७ पूजाओं का संग्रह किया हुआ है । कुछ गुटकों में तो लेखनकाल उसके अन्त में दिया हुआ होता है किन्तु कुछ गुटकों में बीच वीच में भी लेखन- काल दे दिया जाता दे अर्थान जसे जसे पाठ समाप्त होते जति वैसे बेसे लेखनकाल भी दे दिया जाता है । इन गुटकों में साहित्यिक एवं धार्मिक रचनाओं के अतिरिक्त आयुर्दद के नुसखे भी बहुत मिलते हैँ । यदि इन्ही नुसखों के आधार पर कोई खोज की जावे तो वह आयुर्वेदिक साहित्य के लिये महत्त्वपूर्ण चीज प्रमाणित हो सकती है । ये नुसखे हिन्दी भाषा में अनुभव के आधार पर लिखे हुय हैं । आयुर्वेदिक साहित्य के अतिरिक्त किशी किप्ी गुटके में ऐतिहासिक सामग्री भी मिल जाती है | यह सामग्री मुख्यतः राजाओं अथबा बादशाहों की बंशाबलि के रूप में होती है । कौन राजा कब राज्य सिंहासन पर वैखा तथा उसने कितने ब, कितने महिने प्व कितने दिन तक शासन किया आदि विवरण दिया हुआ रहता है । प्रन्थ-सची के सम्बन्ध में-- प्रस्तुत प्रन्थ-सूची में जयपुर के केवल दो शास्त्र भण्डारों की सूची है। हमारा विचार तो एक भण्डार की और सूची देना था लेकिन मन्थ सूची के अधिक पत्र हो जाने के डर से नहीं दिया गया ! प्रस्तुत ग्रन्थ सूची में जिन नवीन रचनाओं का उल्लेख आया है उनके आदि अन्त भाग भी दे दिये गये हैं जिससे विद्वानों को ग्रन्थ की भाषा, रचनाकाल, एवं ग्रन्थकार के सम्बन्ध में कुछ परिचय मिल सके ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now