तिलोयपण्णत्ती Vol 2 | Tiloya Pannatti Vol 2

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
923
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४9999999
£ पुरोवाक £
2৬৬৬৬৬৬৬৬৬১
पूज्य झ्ाधिका श्री १०५ विशुद्धमती माताजी द्वारा अनूदित एवं प्रो० श्री बेतनप्रकाशजी प्राटनी जोधपुर
द्वारा सम्पादित 'तिलोय पण्शत्ती' का यह द्वितीय भाग जिन्नासु-स्वाध्याय प्रं मी-पाठकों के समीप पहुंच रहा है।
জব্বার प्रवर श्री यतिदृषभाचार्य द्वारा विरचित यह ग्रन्थ बीच-बीच में आये गरित के अनेक दुरूह प्रकरणों से युक्त
होने के कारण साधारण श्रोताओं के लिये ही नहीं विद्वानों के लिये भी कठिन माना जाता है । टीकाकर्रीं विदुषी-
माताजी ने अपनी प्रतिभा तंथा गणितज्ञ विद्वानों के सहयोग से उन दुरूह प्रकरणों को सुगम बना दिया है तथा
प्राकृत भाषा की चली आरही अशुद्धियों का परिमार्जन भी किया है।
माताजी ने अस्वस्थ दशा में भी अपनी साध्वी चर्या का पालन करते हुए इस ग्रन्थ की टीका की है, इससे
उनकी आन्तरिक प्रेरणा प्रौर साहित्यिक अभिरुन्चि सहज ही अभिव्यक्त होती है। आशा है, इसका तीसरा भाग
भी शीघ्र ही पाठकों के पास पहुंचेगा ।
भारतवषींय दि० भेन महासमा का प्रका विभाग इस भावं प्न्य रत्न के प्रकाशनं से गौरवान्वित
हुआ है ।
दि० २६-१-१६८६ विनीत :
पल्नालाल ताहित्याचायं
सागर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...