अधिकार महासमर भाग -2 | Adhikar Mhasamer Vol-2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Adhikar Mhasamer  Vol-2 by Narendra kohli

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरेन्द्र कोहली - Narendra kohli

Add Infomation AboutNarendra kohli

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
है कि वह कहाँ है और क्या कर रहा है, किंतु इस अर्जुन का तो कुछ पता नहीं लगता, किसी भी कोने में बैठा, कुछ सो चता रहता है । “जाने क्या करता रहता कुंती उसे ढूंढ़ने वाहर निकली तो देखा वह एक एकांत वृक्ष के नीचे अकेला वैठा, ऊपर की ओर ताक रहा था । कुंती के मन में जिज्ञासा हुई : क्या ताक रहा है, वहू मकेला बैठा-बठा ? “क्या ये लड़ के तुम्हें अपने साथ नही खेलाते अर्जुन ? ” वह कुछ अचकचा गया, जंसे उसका ध्यान मंग हो गया हो, “मैं स्वयं ही उनके साथ खेलने नहीं ! प्र क्यों ? ”” “उनमें से कोई मेरा मित्र नहीं: है !”' “तो किसी को मित्र वना लो !”” “कोई इस योग्य नहीं लगा मुर्क ! ” अर्जुन वोला, “उनमें से कोई ऐसा नहीं है माँ ! जिस पर पूर्ण विदवास किया जा सके । जिस पर पूर्णतः: अवलंवित रहा जा सके 1” “तो भीम कंसे खेलता हैं उनके साथ ? “मध्यम का क्या है।'''वह तो किसी के भी साथ खेल सकता है । किसी के साथ भी मित्रता कर सकता है, विना यह विचार किये कि परिचय और मित्रता भें भेद है शक वह किसी के साथ भी घुल-मिल सकता है पुत्र !” कुंती ने समकाया, “मित्र तो ऐसे ही बनाए जाते हैं ।” “मुझे मध्यम के समान ढेर सारे मित्रों का करना ही क्या है !” अर्जुन “बोला, “मुझे तो एक-आध अच्छा मित्र मिल जाए, तो वही बहुत है ।”” जाने यह स्वयं को क्या समझता है--कुंवी ने सोचा--वित्ते-भर का लड़का और मित्र के गुणों पर विचार कर रहा है। “अच्छा !'यहाँ वठे क्या कर रहे हो ? ” कृंती ने पूछा । अभ्यास ! ”” “किस वात का ?” “एकाग्रता का ! ” “एकाग्रता का ? ” कुंती को आदचयें हुआ, “वह क्यों ? ” लक्ष्ययेघ के लिए माँ 1” “एकाग्रता का लक्ष्यवेघ से क्या संबंध ? ” कूंती ने आइचर्य से पूछा । *'गुरुजी कहते है,” अर्जुन बोला, “कि जब बाण-संघान के लिए लक्ष्य पर ध्यान कोन्द्रित करो; तो लक्ष्य के अतिरिदत और कुछ भी दिखाई नहीं देना चाहिए।” 20 / महासमर-2




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now