टाम काका की कुटिया चंडीचरण ग्रंथावली | Tam Kaka Ki Kutiya chandicharan Granthavali

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Tom Kaka Ki Kutiya  chandicharan Granthavali by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है टामकाकाकी ऊझुटिया शेव्वी--क्या तुम टपढंकारसे वढ़कर अच्छा कामकर सकते हो ? देली-इसमें भी क्या छुछ सन्देद्र है ? जो.वहुत, कठिन काम होते हैं उन्हें मै वड़ी सावधानीसे करता हूँ। छोटे चच्चौकों वेचनेक्े समय मैं उनकी माताओको दूसरी जगह मेजदेता हूँ । माखोंके दूर चली जानेपर मन भी दूर चला जाता है । अन्तमें जच उनसे मिलनेकी आशा नहीं रहती, तब वे दुख सहन कर छेतो हैं । श्वेताड़ छोगाकी भाँति, मैं ख्री-पुत्न तथा परिवारके साथ एकत्र रहूँगा, काले दासौकों ऐसी आशा न करनी चाहिए ।. जिन्होंने वरावर उपयुक्त, शिक्षा पाई है, वे दास दासियां इस प्रकारकी माशा नहीं रखती. ' ,. शोकवी--तो मैं समझता हूँ कि मेरे दास दासियोंने उप- युक्त शिक्षा नहीं पायी 1 हेली -यहद 'ज्ञान पड़ता है कि नहीं पाई। तुम सच केण्टाकी प्रदेशके छोग क्रीतदास छोंगौको बहुत खरावकर देते हो । सुमलोग उनका शा करना चाहते हो, किन्तु करते हो ठीक उसके विरुद्ध ! एक क्रीतदास आज एक जगह, कल टमके घर जायंगा, परसो डिक उसको खरीद लेगा, तत्पश्चात्‌ किसी और एक आदमीका दो जायगा, इसी प्कार चह्द सारे संसार में घूमेगा । हमारी सम्मतिमे उसको यदि तुम चड़े यत्नके साथ पालकर स्त्री, ' पुत्रके साथ मिलकर रहनेकी आशाको यदि स्थान देने दोगे, तो उसका कट नितान्त दुस्सह' हो जायगा 1 ऐसी दशाम इन छोगोको प्यार करनेकी शिक्षा नहीं देनी चाहिए: तुमऊोग काले और गोरेके बीचें कुछ मेर रखना नहीं चाहते । किन्तु, क्या काले कभी गोरसेंके वरावर हो सकते है? हेठी इसघकार: शंग्रेज चगिकोंके दया-धर्मके निगूट तत्व




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