टाम काका की कुटिया चंडीचरण ग्रंथावली | Tam Kaka Ki Kutiya chandicharan Granthavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.77 MB
कुल पष्ठ :
588
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है टामकाकाकी ऊझुटिया
शेव्वी--क्या तुम टपढंकारसे वढ़कर अच्छा कामकर
सकते हो ?
देली-इसमें भी क्या छुछ सन्देद्र है ? जो.वहुत, कठिन काम
होते हैं उन्हें मै वड़ी सावधानीसे करता हूँ। छोटे चच्चौकों
वेचनेक्े समय मैं उनकी माताओको दूसरी जगह मेजदेता हूँ ।
माखोंके दूर चली जानेपर मन भी दूर चला जाता है । अन्तमें
जच उनसे मिलनेकी आशा नहीं रहती, तब वे दुख सहन
कर छेतो हैं । श्वेताड़ छोगाकी भाँति, मैं ख्री-पुत्न तथा
परिवारके साथ एकत्र रहूँगा, काले दासौकों ऐसी आशा न
करनी चाहिए ।. जिन्होंने वरावर उपयुक्त, शिक्षा पाई है, वे
दास दासियां इस प्रकारकी माशा नहीं रखती. '
,. शोकवी--तो मैं समझता हूँ कि मेरे दास दासियोंने उप-
युक्त शिक्षा नहीं पायी 1
हेली -यहद 'ज्ञान पड़ता है कि नहीं पाई। तुम सच केण्टाकी
प्रदेशके छोग क्रीतदास छोंगौको बहुत खरावकर देते हो ।
सुमलोग उनका शा करना चाहते हो, किन्तु करते हो ठीक
उसके विरुद्ध ! एक क्रीतदास आज एक जगह, कल टमके
घर जायंगा, परसो डिक उसको खरीद लेगा, तत्पश्चात् किसी
और एक आदमीका दो जायगा, इसी प्कार चह्द सारे संसार
में घूमेगा । हमारी सम्मतिमे उसको यदि तुम चड़े यत्नके साथ
पालकर स्त्री, ' पुत्रके साथ मिलकर रहनेकी आशाको यदि
स्थान देने दोगे, तो उसका कट नितान्त दुस्सह' हो जायगा 1
ऐसी दशाम इन छोगोको प्यार करनेकी शिक्षा नहीं देनी
चाहिए: तुमऊोग काले और गोरेके बीचें कुछ मेर रखना
नहीं चाहते । किन्तु, क्या काले कभी गोरसेंके वरावर
हो सकते है?
हेठी इसघकार: शंग्रेज चगिकोंके दया-धर्मके निगूट तत्व
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