हिंदी - कलाकार | Hindi Kalakar

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Hindi Kalakar by डॉ. इन्द्रनाथ मदान - Dr. Indranath Madan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करि कबार हिन्दी साहित्य के इतिहास मं कबीर से अधिक सशक्त और क्रान्तिकारी व्यक्तित्व रखने वाला अन्य कोई कवि नहीं हे । इसका कारण यह हे कि कबीर का उदय जिन परिस्थितियों में हुआ, वे परिस्थितियाँ ही स्वतः ऐसे सशक्त और क्रान्तिकारी व्यक्ति के आविर्भाव के लिए उत्तरदायी हैँ.। मुतलमानी राज्य को प्रतिष्ठा हो जाने पर भारत में हिन्दुओं की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक अवस्था अत्यंत शोचनीय होगई | हथ के साम्राज्य की ज्योति बुभने पर जो छोटे-छोटे राज्य जुगनू कौ भाँति चमकने का नास्य करने लगे थे, वे मुसलमानी तलवार की तीक्ष्ण धार का प्रतिकार न कर सके और अब उनमे परस्पर लड़ने का भी साहस न रहा। इसका कारण चाहे वीरता ओर पराक्रम का अभाव हो चाहे राष्ट्रीय का कमो, वे अब निर्जीव राख को ढेरी की भाँति व्यथ और सलवहीन हो गए थे और उनम॑ इतनी भी शक्ति न थी कि वे अपने अस्तित्व को भा रक्षा कर सके । फलस्वरूप उन्हें विवश होकर अपनी तलवार म्यानों में रखनी पड़ीं। जनता अपने राजाओं की इस अशक्त ओर निरुपाय अवस्था को देखकर अपने को ईश्वर के भरोसे छोड़ने के लिए बाध्य हो गड | राजनीति ही नही, धम की अवस्था ओर भी बुरी थी। सिद्धो' ओर नाथपंथी योगियों' ने जिस रहस्यमय ढ ग से अपने संप्रदायो' का प्रचार किया था, उससे जनता सच्चे घमं से विमुख हयो गई थो | इन लोगो ने धम के बाद्य आचारो', अर्थात्‌ तीथ यात्रा, व्रत, पव -स्नान अदि का विरोध करके उनकी निस्सारता दिखाई थी। वे ईश्वर की प्राप्ति का एकमात्र साधन हठयोग आदि शारीरिक क्रियाये बताते थे।




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