कागज़ की किश्तियाँ | Kagaj Ki Kishtiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यज्ञकी अज्ञलि
ऋपषिने और ऋषि-पत्ीने पद्चह दिलतक तत्मय होकर यज्ञ-अनुप्ठान'
किया था । आज अनुप्ठायका अच्तिम दिन था और सध्याज्न होते-होतेतक
धीरे से हविष्िमाज्षकी अध्यिम आइतिकी थेजा आ गयी थी। सूची भद्धा-
को सजीकर गद्गद भावरी ऋपिने अस्तिम अञ्जलि अभिनिभै समपितकरी
और, जैसी कि उसकी शाघ थी, शोचा जब अग्विकी अच्तिम पघृत-तृप्त
शिखाके साथ भात्मामें परिपूर्ण झानकी ज्योति उदित होगी और साधमाका
अच्तिश श्रेय प्राप्त ही जायगा ! किन्यु अभिग जअज्जलिसेंस मे हविष्थान्न
नीचे सरका, गे कोई ज्योति प्रगठ हुई---उल्टा पह हुआ कि ऋति-दस्पतिकौ
আঁতাত धुओँ भरमें लगा, आंधु घूने लगे । यह क्या? ऋषिम वीनि वार
अिषाशत की आधवागिकाएँ | ११
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