आधी रात | Aadhi Raat

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Aadhi Raat by जनार्दन राय - Janardan Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आधी रात ॐ दूसरा- अघोरी-- साश्चय भीत हो )--ओ तेरी ...... पहला अघोरी--( रक्तोंजली फ्रेक कर )--यह ले, अंधेरा-- . [ अ्रंघकार का होना | तीसरा अघोरी--( उसी तरह हुँकार कर ) “यह ले भूकम्प, धिजली---आग के सोते ! [ एथ्वी-ध्रूजन; विद्युत्‌ तथा जगल के एक भाग में आग लगना ] दूसरा अधोरी--( आँखें हाथ से बन्द कर, चिल्लाता हुआ )-- ছী ओ, मरा रे ! ओ बाप रे ! दौड़ो कोई ! मरा ! रक्षा करो गुरु देव ! दौड़ो--दौड़ो-- तीसरा अधोरी--( भयानक चीर्कार-कर )-यह ले सरण- बन्ध-- ( बायु-वेग से कापालिक का प्रवेश । } | कापालिक-( रोकता हुआ }--्शान्त 1 सवर !! भैरव ` शिष्यां का कमाल হী! হানাহা !! दोनों--( रुक, स्तस्मित ही घूम ) गुरुदेव ? ( झुकते हैं ) जय | जय 11 है कापालिक--( स्थिर )--हुम्‌ ! शक्ति, इस जगत का ক राल जादू--जादू !--महा जौवन की ज्वाला है, सावधान ! दोनों--( दीन स्वर में ) कृपा हो, नाथ ! कापालिक---[ वैसे ही )--भैरव नाथ की महिमा से जगत की यह पिशाचिनी स्वयं-योगी के महापतन में दत्तचित्त है ! बस, इतना ही बल है। हुम्‌ ! राक्षस की ठोकरें खा स्वयं-जन्मित




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