ओ३म् ऋग्वेद पर व्याख्यान प्रथम भाग | Om Lectures On The Rigveda Part 1

Om Lectures On The Rigveda by भगवद्दत्त बी० ए० - Bhadwaddatta. B. A.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ক্সীঃমু येना पावक चक्षसा भुरण्यन्तअनाँ गनु । त्वं वर्ण॒ परया ॥ ऋऽ १।५०।६ ॥ সখ पयित्रकारक, स्यात्तम जगदीश्वर ! जिस विज्ञानं प्रकाश से आप घारज करने याले लोकों, ओर मनुष्यों को अच्छे प्रकार देखते है, उस विज्ञान के प्रकाश से मुझे भी संयुक्त कीजिये।' महाराज ! आप ही मेरे शुरू आर परमाध्यापक हो। आप ही से सब शान मिला है, सो हे दयानिधे ! मेरे दोषों को दुर करके मुझे सत्ययुक्त और निर्मत्न-बुद्धि करदें, जिस से कि में आप की सत्य वाणी वेद का प्रचार पुनरपि संसार में करने के योग्य हो जाऊंँ। २४ नवम्बर सन्‌ १€१६ शुक्रवार के दिन, लाहार झाय्येसमाज के वापिकोत्सव पर मेने वेदों के शाखा विषय पर पक व्याख्यान दिया था। तदनन्तर इस विषय पर श्र मी सामग्री एकत्र करता रहा | पुनः, आश्विन सम्बत्‌ १६७४ भें 'ऋगमनन्‍्ञ्वव्याख्या” की भूमिका भें मेने लिखा था-“शाखा विपय पर হুঘিহনূুল विचार, वेदमन्त्रों की गणाना का प्रश्न ओर एक मन्त्र के कई वेदों मे थाने प्रादि अनेक ज्ञातव्य विषया कालेख पक एक्‌ पुस्तक करना चाहता हूं। उस के लिये सामग्री एक्ततञ्जित की जा चुकी है ।” तत्पश्चात्‌ पश्चपटलिफा की भूमिका के अन्त में भी इसी सम्बन्ध मे एक वचन लिखा था । इन्हीं प्रतिज्ञाओं के अ्रनुसाग इंश्वर की अपार दया से में आज इस ग्रन्थ के प्रथम भाग को जनता के प्रति घरता हूं। इस प्रथम भाग में दो दी विषयों का व्शान हो सका




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