आठ सेर चांवल | Aath Ser Chanwal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
हे; उसके वच्चे भो उसे कोई भारी बो न मालूम पडेगे।
ओर चूँकि बह हमारे करीब ही रहेगी, हम भी उसकी मदद
करते रहेगे। उसके भाई-बहनों को भी बड़ी सहायता मिलती
रहेगी ।
इस तक का उसकी पत्नी पर प्रभाव पड़ा ओर कोई सीधा स्पष्ट
उत्तर न देकर वह बोली--“जो कुछ भी दहो, मेरी जिम्मेदारी तुम
से ज्यादा तो नहीं है; लेकिन अभी मेरे दिल को तुम्हारा यह विचार
अच्छा नहीं लगता । हम लोग इस मामले को जल्दी मेन तय
कर, इसमें कुछ रुकना ठीक होगा ।”
दोनों मोन घर लौट श्राए । सुलक्षणा ने अपने सोने के कमरे
की सब खिड़कियाँ बन्द कर लीं। उसे चार्-चन्दरिका से अचानक
घृणा हो गई थी।
दक
दूसरे दिन तीसरे पहर जव मॉँ-बेटी अकेली थीं तब दयामयी
ने पूछा--“माँ ! क्या पिताजी मुझ से नाराज हैं ? कल रात
उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ ले चलने से क्यों इन्कार कर दिया ?”
माँ ने जवाब दिया--“तू कैसी पगली लड़की है ! क्या तेरे
पिताजी तुभ से कभी नाराज हए हैं? वे मुझ से एकान्त में कुछ
सलाह करना चाहते थे; इसीलिए तुमे साथ नहीं ले गए ।”
“क्या कोई ऐसी बात थी जो मुझे न जाननी चाहिए ?”-दया
ने जिज्ञासा को ।
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