भारत में मारवाड़ी समाज | Bharat me marwadi samaj
श्रेणी : गणित / Maths, विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
41 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घाकथयन
में मारवाड़ी हूं, पूरा और कट्टर मारवाड़ी, और साथ हौ उन मारां से
घृणा भो करता हूं जो अपने आपको मारबाड़ी कहलाने में नाक भौं सिकोढ़ते हैः
और अपनी रक्षा और आत्म-सौंदय के लिये अपने आपको अन्य वर्सीय शब्दों के:
आवरण और संस्कृति में ठकने और अलंकृत करने की कोशिश करते हैं । हमारे
पाठकों में भी यदि ऐसा ही कोई हो और उसे हमारा यद्द कथन यदि बुरा छगे तो
लगा करे, बला से । जब में उनसे घृणा करने में स्वतन्न्न हूं. तो वे बुरा मानने में!
भी स्वतन्त्र हैं ।
जहांतक पुस्तक लिखने का तथा साहित्यिक क्षेत्र में प्रविष्ट द्वोने का प्रश्न है,
वहांतक भस्तुत पुस्तके मेरा प्रथम प्रयास है. जो अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन
के छठवें अधिवेशन के सिलसिले की तेयारियों के रूप में होनेवाली सभाओं तथा
तत्सम्बन्धी प्रइनों एवं विचार-विमशो की ही प्रेरणा हैं। सम्मेंलन की स्टेंडिंग कमेटी
के सभी सदस्य अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिये बम्बई जाने तथा कुछ न कुछ
रचनात्मक काये कर दिखाने के लिये उत्सुक थे। में भी उन्हीं में से एक था +
अखिल भारतीय मारवाड़ी संम्मेलबसे और कलकत्ते के हमारे इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं
से मेरा परिचय, व्यक्तितत रूप से तो थोड़ा बहुत, बहुत दिनों से ही था परन्तु
सार्वजनिक और सामाजिक कार्यक्षेत्र में हमारा अलनुभंव अतीव' अल्प-वयश्क हें 1
अंखिल भारतोय' मारवाड़ी सम्मेलन की इस थोड़ी सी -जिन्दगी के ` व्रम्यनि जाः कुछ
मेंने देखा, खुना और पढ़ा, वह मेरे व्यि बहुत भयङ्करे भौर -चातक “रिं हुआ ।
इल संस्था के कोत्र मे पुणे व्यक्तिगत रूप से तो बड़ा आदर “मिल्ल'। ' मैं-कामसे
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