विज्ञानं प्रवेशिका भाग २ | Vigyan Praveshika Part - 2

Vigyan Praveshika Part - 2 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ছাল ५ † तुमको ्टक तेज़ चाकू और दफ़्ती देता हूं । देखे, इसमेसे प्रपने फूटके सहारे नापफर एक इंच लंबा और एक इंच वाड़ा हुकड़ा काट लो। इसे तुम अपनी क्रितावपर रक्‍़्पो। गरतलाथों यह कितनी जगह घेरता है ? मेदनने फटा, “गुरजी, यह एक इंच लंबी शोर एक त्च चाड जगद घेरता है । गुरुती--ठीक ६, पर यालचालमें इस प्रकार भी कहते हूं कि एक चर्ग इंच जगह घिरी, या यां भी कह सकते हैं कि इस डुकड़फा फैलाव एकवर्ग इंच हैं। अब इस इफ़्तीमसे एक फुट लंबा और एक इंच चाड़ा झुकड़ा काटा, उसपर एक एक इंचकी दूरीपर देनं श्चार नाप 'नापकर निशान कर ला ओर आमने सामनेके निशानोंको 'मिलातें सीधी सतरे' खीच डाला । इस तरह इस टुकड़ेके (যায অহা वार्ह भाग वने जायेंगे [देखा चित्र न० १ || 4 मोहनने देसा ही किया आर दफ़्तीके डुकड़ेकी शकल (ऐसी बन गयी दि देखकर बड़ा खुश दुआ ओर कहने 2तगा, “ गुरुजी, यद्द ता वारह भाग हुए जिनमें हर एकर्के चार्से भुज वरावर हू । ये भाग चायो श्रोरसे पक एकः श्च है या यों कद सकते दे कि पक एक वर्ग इच हैं । गुश्जीने का, “श्रव पसी ही शक्ल तुम काले तञर्ते- ‡पिर बना दे |” माहनने काले सख्तेपर एक फूट लंबी और 4एक इंच चोंड़ी दफ्तीकी शकल बनाकर उसके यारह “बराबर बराबर भागेमिं काट लिया । इस यतिसे जो शकलं : बनी उसको छोटा करके इस चिच्रम दिखाया है ।




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