अर्थशास्त्र और राजनीति साहित्य | Arthashastra Aur Rajneeti Sahitya

Arthashastra Aur Rajneeti Sahitya by दया शंकर दुबे - Daya Shankar Dubeभगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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दया शंकर दुबे - Daya Shankar Dube

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भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गथशास्त्र साहित्य ३ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में यहाँ राष्ट्रीयता के भावों की वृद्धि होने से देशहितैषियों का ध्यान राष्ट्रभाषा के मादित्य के विकास की और गया | फल-स्त्ररूप बीसवीं शताब्दी के आरम्भ से इस विषय की हिन्दी की भी पुस्तकों के दशन होने लगे । अर्थशास्त्र साहि य के भाग--अथशास्त्र सम्बन्धी साहित्य का विचार करने के लिए यह आवश्यक है कि पहले इसके मुख्य-मुख्य भागों का उल्लेख कर दिया जाय | सुभीत के लिए हम निम्नलिखित भाग करते हैं:- - [ १ ] सिद्धान्त । [ २ ] भारतीय अथशास्त्र । [ ३ ] प्राचीन भारतीय अथशास्त्र। [ ४ ] आ्िक विचारों का इततहास | | ५ ] आधिक इतिहास । [ ६ ] मुद्रा और करेन्ती। [ ७ ] बैंक । [ ८ ] विदेशी विनिमय । | ६ | स्टाक एक्सचज्ञ | १० | व्यापार व्यवसाय । [११] आधिक श्रोर व्यावसायिक भगाल । [१२] यातायात । [१३] कम्पनियाँ । [१४ | उद्योग धंपे-- ( क ) बस्त्र सम्बन्धी उद्योग धंधे, ( ख ) ग्राम्य उद्योग धन्षे, ( ग ) अन्य उद्योग धंवे। [१४] ग्राम्य अथशास्त्र । [१६] सहकारिता ।




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