कंटीले तार | Kantile Taar

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Kantile Taar by श्यामू संन्यासी - Shyamu Sainasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कंपीले तार १९ 'मालुम पड़ता है कि सरकार तेरे विचारों से परिचित हो गईं है।' मोना ने पूछा--क्यों ९ 'तू ही न कहती थी हि सती जमनों को जेल में टू स देना चाहिए १? तो इसमें नव्रीनता कौन-सी है १! सरकार श्रव यही करने जारी हे) क्या जमनो कोकेद्‌ मँ डालने जा रही है? ष्ठी! वे कहीं गड़बड़ न मचायें, इसलिए उन्हें नज़र केद की छावनियों में पहुँचाने की व्यवस्था हो रही है ।' 'ब्रिलकुल ठीक है। बदमाश, जासूली करना चाहते हैं। परन्तु हाँ, वे राज्य-कर्म चारी यहाँ क्‍यों आये थे १ परावर्नर ही उन्हें लाया था। उनका ख़याल है कि छाबनी के लिए नोकालो से बढ़कर दूसरी ओर जगद्द नहीं ই)? मोना क्षण-भर अ्रव।क हो जाती है और फिर कहती है --तो ऊभन लोगों के लिए हमें अपनी जन्म-भूमि छोड़कर चला जाना होगा। हम यहाँ से निकाल दिये जायगे क्या १ बूदा कहता है - ठीक ऐसी बात तो नहीं है। फिर जो योजना उसके सामने रखी गई थी, उसे समझता है । वह और उनका कुटुम्ब्र भक्ते ही वहीं रहें भर उनकी पहाड़ी पर की गोचर-भूमि भी वेसी ही रहे, परन्तु उन्हें छावनियों को दुध देना होगा । মার जर्मनों को जीवित रखने के लिए हम काम करें | भौर उनक्रे भाई हमारे युवकों को फ्रान्स भौर जम॑नो के मंदान में मारते रहें । ना यह कभी नहों हो सकता ।* उसके पिता को चाहिए कि वद्द बिलकुल मना कर दे । 'डिल्ञकुक् मना कर देना (? जब तक ज़मीन का खाता ख़तम नहीं दो जाता, ज़मीन उनकी है ओर वे सना कर सकते हैं । कह देना गवनर को कि छावनी के लिए अन्य कहीं ज़गह तल्लाश करें।




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