अर्थशास्त्र के आधुनिक सिद्धान्त | Arthsastra Ke Aadhunik Siddhant
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
640
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थ्रथेज्ञास्त्र का स्वरूप तथा क्षेत्र ५
रुतं भ' शब्द यहाँ पर एक विशेष अर्थ म प्रयोग किया गया है | इस दुर्लभता
का सम्बन्ध आवश्यकताओं से है। दुलेभता का अ्रथं निरपेक्ष भाव म नही तेना चाहिए 1
एक वस्तु थोडी मात्रा म हो सकती है, किन्तु यदि इसका किसी के लिए कोई उपयोग
नही है तो हम इसकों आ्थिक दृष्टिकोण से दुलंम नही कहेगे। इस प्रकार दुलंभता
सापेक्ष शब्द है।
(ग) रॉबिन्स की परिभाषा के भन्तर्गत तीसरी प्रस्तावता यह है कि दुलंभ
साधनों के अनेक उपयोग हो सकते हैँ ঘবি হক বহু কা एक ही उपयोग हो सकता
हो रौर अरन्य कोई नही तो उत्क सम्बन्ध म बहूत कम झ्राधिक समस्याएं उदेंगी । जब
इसका वह् घप्योण ठै चुकेगा तो यह स्वामित्वहीन वस्तु हो जाएगी और इसका कोई
ग्राथिक महत्त्व नही होगा ।
जब तठ ये सब परिस्थितियाँ नही है तब तक कोई भ्रायिक समस्या उपनत
नहीं होगी । केवल साध्या का वर्द्धन ग्रथवा केवल साधनों की दुलेभता न तो आधिक
समस्या और न केवल दुर्लभ साधनों की वैकल्पिक प्रयोजनीयता उत्पन्न कर सकती
है। “परन्तु जब साध्य की प्राप्ति के लिए समय श्रौर साधन भीमित तथा बेकल्पिक
प्रयोग के योग्य होते है श्लौर साध्य महत्त्व की दृष्टि से विभेद योग्य होते है, तब
व्यवहार ग्रवश्य ही इच्छा या रुचि (ला००७) का रूप धारण कर लेता है।”
अर्थात् इसबा एक आर्थिक रूप होता है ।
रॉबिस्स के “मतानुसार ग्राथिक चेष्टा अनेक साध्यो को पूरा करने के लिए
मनुष्य के दुर्लभ साधवों का उपयोग है। 'साधनो/ का गभिप्नाय समय, द्रव्य प्रथवा
किसी प्रन्य प्रकार की सम्पत्ति से है। वे सब सीमित है ।/ *
प्रत्येक दशा म हम अ्रपने सीमित स्रोतो का प्रयिकतम उप्रयोग करने की
कोशिश करते हैं । राज्य के दृष्टिकोश से 'अरधंशास्त्र उन नियमों का अध्ययन है जिन
पर एक समाज के स्रोत इस प्रकार नियमित तथा प्रशासित हो जिनसे सामाजिक
लक्ष्य बिना क्षय के प्रष्स हो सकें ।/३
स्टिगलर (80819) के शब्दों मं “अ्रद॑शञास्त्र उन सिद्धान्तों का अध्ययन है
जो प्रतिस्पर्दी लक्ष्यों मन््यून साधनों के बेंटयारे को नियत करता है जब कि बंदवारे
का उद्देश्य लक्ष्यो की प्राप्ति को परम सख्या तक बढ़ाना है 1”
रॉबिन्स ने इस प्रकार ग्रथशार्त्र के भोतिक कल्याण पर ग्ाधारित पुराने ढाँचें
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