अंग्रेजी उपन्यास का विकास और उसकी रचना पद्धति | Angreji Upanyas Ka Vikas Aur Uski Rachna Padhti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ अंग्रेजी उपन्यास का विकास
कर तथा अमानुपिक दुर्घटना है। शेक्सपियर तथा दूसरे नाटककारों ने होनेवाली
घटना से प्रकृति को एक स्वर करके यह भी प्रकट किया था कि यह ऐक्य मनुप्य
जीवन का एक वडा गम्भीर अनुभव है, कोई वाहर से आरोपित दिलचस्पी की वात
नही है । यद्यपि कोई पृष्ठभूमि स्वय, विना कर्ता के या विना कर्मं के, भाव उत्पन्न
नही करती, फिर भी उसके द्वारा भाव कथावस्तु से एकस्वर अवद्य होता है, जिसके
कारण वह् भाव को कमे तथा कर्ता मे पूर्णं रूप से प्रकालित होने में विगेप सहायता
देती है । उपन्यासकारो ने दस अनुभव से उन्नीसवी शताब्दी में पूरा लाभ उठाया ।
वे जानतेथे कि यदि एक दुर्य कायं करने को उत्तेजित करता है तो दूसरा विचौरो
मे तिमग्त करके चुपचाप बैठा देता है; इसी तरह यदि एक समय और स्थान
दुष्कर्म की प्रेरणा देता है तो दूसरा गाने तथा खुशियाँ मनाने को प्रेरित करता है।
जेन आस्टेन से आरम्भ करके मिस ब्वान्टी और मिसेज गैस्केल जैसे सभी उपन्यास-
कारों ने इस अग को, जिसे वे सेटिग' (8५४०६) कहते थे, खूव पुष्ट किया, भौर
जाजं मेरिडिथ तथा टामस हार्डी ने उसे पूर्णरूप से अपने उपन्यासो की विशेषता वना
दिया ।
इन विभिन्न अगो को एकत्र करके उपन्यास मे कई रीतियो से उन्हे व्यवस्थित
किया जाता है! वहुधा कहानियो मे तीन तत्तव हुआ करते है; एक वह् व्यक्ति,
अथवा व्यक्ति-सघ, जो प्रमुख पात्र होने के कारण कहानी का कथापुरुष कहलाता
है, दूसरा वह ससार जिसमे जन्म लेकर कथापृरूप प्रौढ होता, कायं करता ओर
जीवन व्यतीत करता है और तीसरा वह प्ररन जिसके हृल करने की चेष्टा मे
कथापुरुष लगा रहकर जीवन व्यतीत करता है! इन तत्त्वो में से किसी एक को
उपन्यामकार अपने अनुभव से प्राप्त करके उसके सम्बन्ध के दूसरे तत्त्व को कल्पना
कम आय ! यदि वह किसी अनजान व्यक्ति को इतना दिलचस्प पाता
है कि उसे अपने उपन्यास का कथापुरुष बनाये तो कल्पना मे उस ससार को निरूपित
करता है जिसमे অন্ন लेकर वह व्यक्ति इस दिलचस्प अवस्था को पहुँचा होगा।
व्यक्ति और उसका ससार जब इस प्रकार एकत्र हो जाते है तो उन दोनों मे परस्पर
क्रिया और प्रतिक्रिया प्राकृतिक रूप से प्रारम्भ हो जाती है, जिसके फलस्वरूप
काई न काई प्रदन अथवा समस्या उठती है जिसे हक करने मे उस व्यक्ति का जीवन
व्यतीत होता हे। उपन्यासकार इसी प्रकार किसी विद्येप युग के संसार के अनुभव
উনার বা উনি কা ই य
| हुँंचें और प्राकृतिक नियम के अनुसार क्रिया
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