हिन्दी विश्व भारती - भाग 5 | Hindi Vishva - Bharati : Vol. - V
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
51 MB
कुल पष्ठ :
470
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कृष्ण वल्लभ द्विवेदी - Krishn Vallabh Dvivedi
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श्री नारायण चतुर्वेदी -Shri Narayan Chaturvedi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आकाश की बातें
2 ०६ ! পি ५१, € <
राशिचक्र (वस्त॒ुतः चद्रमार्ग) को २७ या र८ भागों मे. 'पिसीज़ का!और इस प्रकारज़ीटा पिसियम का अथ हे'
(2 10/०/८० १४५ ^ `
৫
पेषीज्ञ
बॉटने का कारण यह है कि चंद्रमा तारो के हिसाब से का ज़ीटा? | यदि अग्रेज़ी भें लिखी पुस्तकों को ठीक-ठीक
एक चकर २७३ दिन में लगाता है, ओर २७१ से निकट- समभाना हो और अग्रेज़ी मे ज्योतिष-संबधी बातों को लिखना
तम पूर्ण सख्याएँ २७ और र८ हैं । चीनियों और अरब- हो तो निस्संदेह पिसीज्ञ श्नौर पिसियम दोनो रूपों को जानना
निवासियोंमे भी२७या रल भार्गोमे राशिच््रको चाहिए और दोनों के भेदों को समझना चाहिए । परतु
बॉटने की प्रथा थी ।
प्रश्न यह है कि क्यों हिंदी के पाठकों के सिर पर यह লজ
एक कठिन प्रएन मढी जाय ओर ज्योतिष-ज्ञान की प्राप्ति से उत्पन्न उनके
हिंदी-लेखको के लिए एक कठिन प्रश्न यह उठता है आनंद को इस प्रकार क्यों किरकिरा कर दिया जाय | लेटिन
क्रि नवीन तारा-समूहों के नामों
के लिए क्या किया जाय; उनको
ज्यों-का-त्यों उनके लेंटिन रूप मे
रखा जाय, अथवा उनका हिंदी
या संस्क्षत मे अनुबाद कर दिया
जाय। लेटिन नामो के उपयोग
में लाभ यह हैक अंग्रेज़ी पुस्तके
पढ़ते समय पाठक उनसे अपरि-
चित न रहेंगे। इस लाभ को कुछ
लोग इतना महत्वपूर्ण समभते
ই কিন বীহিন नामों को ही
पसंद करते हैं, परन्तु दूसरी ओर
यह देखना पडता है कि ८८ निर.
थक शब्दों से परिचित हो जाना
हिंदी-पाठक्ों के लिए सुगम नहीं
है। केवल इतना ही नहीं, इन
शब्दो का षष्ठी रूप लेयिन व्या-
करण के नियमों के आधार पर
बनता है और इसलिए लगभग
८८ शब्दो को श्रौर याद रखना
पढ़ता है। उदाहरणतः मीन,
कन्या और कुंभ नामक तारा-
समूहों के लेटिन नाम क्रमानुसार
पिसीज़ (15053 ); वर्गों
( ४1४७0 ) और अक्वेरियस
(2 (७४710 ) हैं, परन्तु यदि
यद् कट्ना हुश्रा कि 'पिसीज़वाला
वहतारा जो यूनानी अतर ज्ञीया
छारा सूचित किया जाता है? तो
সীতা দিতি ( ऽप) )
कहा जायगा; न रि जीरा
थिसीज़ । विस्तियम का প্রথ ই
শশা ~न“ ग~» -- * এ 0555857555৯ ५
७ भ्व নথ न
( ১
जाः = कायम ক कानकमकाम:
तारा-समूह ओर उनक्रे कल्पित रूप--{ २ > ग्रीष्म में
१. रथी ; २, लघु सप्तपिं ; ३, अजगर ; ४, पारसीय $ ९, कश्यपी ; ६. दीणा ,
° स्य ; =, अतरमदा ; ६, खगाश्व ; १०, सेष हम ; ৭. নল और
दक्षिण सीन $ १३. मकर $ १४. तिनि $ १) ॥ क ৮.
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