समसामयिक हिंदी कविता | Samsamyik Hindi Kavita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.93 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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No Information available about डॉ गोविन्द रजनीश - DR Govind rajnish
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जद हो बज हैं, रे परदुर की मीहुं बाहर करता गए
दातों में बाग बंधे दिहाव है जा माफी सारा जविए होगा है है तह बएयत
की पतयूत पवइर शागन्तीर अमर आउंगा। बुरे है-शरर ही पाएँ
पीर संदीव शुनाती हैं । सेकित मै कर हूं व संग मैं जड़ी हुए पाता
घादि मैं अधि कुच्दां धर प्रयोगतडीगवा में झडगटाए है । धपियारी शपी है प्रपीर
किन 'घरतायुग' में घोर निधाशा, पदगाए के विद मैं इपिएय है अुए होएगे है
हुम शबके संत दै ब्रश है मु,
इ पिपारा है, धावतदावा है, शंब्य है;
है बागवृत्ति जन दोनों बुद्ध प्रहियों की,
आधा शंशर्प है, शरजाजनर वराजप है।
इनियट मे घमितय साया, सदीन मुद्ावरै, सये शब्दों को प्रयुगग हिंयां !
इतियट थी साम्पता पही है कि कि को एरदोविए कपने हारा रॉसिलिष्ट बिता करतीं
चाहिए । पद पनिवायं हो तो माया को तोइते, मरोइते में भी कोई कमर महीं होती
चाहिए । भरगेष ने इगे र्वीरार रिया है कि भाज की साया, विभारों की ध्रमिस्यक्ति
के लिए भगुपयुक्त है। धतः धाही, देवी, विराम-ेसां के माप्यम से मिषाएं
की ब्यजना होनी भाहिए। “प्रेस की टूर बेदी कविता में इगे भागानी थे देखा जा
सकता है। इतिपट की तरह, विषय घौर विरोधी मित्रों के कारश प्रयोगवाद की
मापा भी किसिप्ट हो गई है ।
इलियट के है. पाएडंट 01 1635 का नई कदिता में 'मर्ष की लय के रुप में
भनुवाद कर दिया गया है । इलियट ने नई उपमाएं' प्रस्तुत की हैं । उसने जीवन को
कॉफी के घम्मधों से नापा है ।* झव हिन्दी के नये कवि भी नाप रहे हैं । इलिपट ने
जिस प्रहेलिका शंली को धपनाया, उसने प््ञप के काव्य को सीस्दर्य प्रदान किया
इलियट भसम्पृक्त तादकालिक क्षण में भूत भौर भविष्य का सामंजस्य
करता है । उसका विश्वास है कि किसी का प्रन्त उस्तकी सृत्यु है 13 इलियट को जद
कण का महत्व है, नया कवि उसे स्याग नहीं पाया हैः
.. घ्मदौर भारती, भ्न्घायुग, पृष्ठ १३० ।
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