संवेदना और सौन्दर्य | Samvedanaa Aur Saundarya

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Dr. Rajmal bora

hindi books author , assistant professor in 1960 approximately 1970.
completed first ph.d in the  hindi department of  sri venkateswara Andhra pradesh state university, Tirupati.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऊँची होती है, उनका हम पर निश्चित रूप से एक उत्तेजक तथा उत्साहवर्धक प्रभाव पड़ता है । बीखेर और वुण्ड्ट का यह मत मानना सम्भव नहीं है कि पद्धतिगत रूप से किए जानेवाले काम के साथ जो आवाज कुछ अन्तर से लगाई जाती है, उसीसे या मुख्य रूप से उसीसे संगीत की उत्पत्ति हुई है, पर जय चाहे सरल रूप में हो या संगीत के विकसित रूप में हो, मांसपेशियों की क्रिया के लिए एक उत्तेजक असर रखती दहै, इसम सन्देह नहीं । ४ रोने में आवाज की लय है, मौर यह्‌ लय जन्म से मनुष्य में पाई जाती है । लय का सम्बन्ध संगीत से है । कालिंगवुड यह मानता है कि नृत्य, सब भाषाओं की जननी है । किन्तु मुखरित रूप में नृत्य के साथ--शारीरिक अभिनय के साथ--संगीत का सम्बन्ध है । संगीत और बोली के भेद को बतलाते हुए कालिगबड़ ने स्वीकार किया है कि संगीत बोली से भिन्‍न है, वह लिखता है ~ “अंग्रेजी भाषा अंग्रेजी में भावों को व्यक्त करेगी । फ्रेंच बोलने के लिए आप को एक फ्रांसीसी के भावों को ग्रहण करना पड़ेगा । बहुभाषी होना भावों का गिरगिट होना है) ओर भी अधिक स्पष्टतः सत्य यह है कि जिन भावों को हम संगीत में व्यक्त करते हैं उन्हें बोली में कभी व्यक्त नहीं किया जा सकता, और इसके विपरीत भी सही है) सगीत एक ` प्रकार की भाषा है, और बोली दूसरी, प्रत्येक वह व्यक्त करती है जिसे यह पूर्ण स्पष्टता और शुद्धता से व्यक्त कर सकती है; किन्तु जो वे (भाषाएं) व्यक्त करती हैं वे भाव के दो भिन्न प्रकार हैँ प्रत्येक स्वयं में उपयुक्त । * संगीत का सम्बन्ध ध्वनियों से है । यह्‌ लयात्मक ध्वनि है, जो बोली से भिन्‍न है । शब्द-संषेदना की दृष्टि से देखे तो संगीत का प्रभाव बहुत व्यापक, सीधा तथा अचूक मानना चाहिए । पशु-पक्षी तक संगीत से प्रभावित होते हैं । यह स्वर-साधना है, जिसमें अनेक प्रकार की लए हैं। इन लगों का शरीर पर गहर असर पडता है। जो बहुत संवेदनशील होते हैं, बे तो संगीत के पीछे. पागल हो जाते है। संगीत के साथ शरीर थिरकता है या गतिशील होता है तो इसे नृत्य के रूप में समझा जा सकता है। संगीत और नृत्य इन दोनों में . पूर्वस्थिति क्या रही होगी, यह कहना कठिन है। कालिगवुड मानता है कि नृत्य प्रथम है। किन्तु मुझे लगता है कि दोनों एक साथ भी संभव है। शिशु का जन्म होने पर वह हाथ-पाँव पटकता है और रोता भी है। रोने में संगीत: तथा हाथ-पाँव पटकने और मुख फाड़ने में नृत्य है। नृत्य और संगीत का द ९ साथ चोली-दामन का साथ है। शम । संवेदना मौर सोदयं




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