प्राचीन भारत में लक्ष्मी - प्रतिमा | Prachin Bharat Mein Lakshmi - Pratima

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२] लक्ष्मी तथा लक्षौ प्रतिमा प्राचीन एकता को लोग भूल नही । वात्सायन के कामसू्र के समय तक कदाचित यक्ष रात्रि में जो कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती थी यक्षिणी के रूप में लक्ष्मी की पूजा होती थी । व्स प्रकार य तथ्य हमे इसी धारणा की भोर भ्ग्नसर करते ह कि लक्ष्मी भ्रनायों की देवी थी जो कालन्तर म हमारे धम म भ्रा गयी भ्रौ श्रामो को इन्ह श्रनार्यो के सम्पक से श्रपनाना पडा । कभी इनको वरुण की स्त्री माना कभी इंद्र की कभी कुबर की रौर श्रन्तम भ्राकर विष्ण की पत्नी--जिस रूम में श्राज इनकी पूजा होती है । १ घुभाव ज० रेलें-- दिवाल। था, दी एजज्ञ --दी लीडर, इलहाबाद, अक्टूबर २०, १९६०, पष्ठ १, कालस ७।




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