देवकी का बेटा | Devkii Ka Beta
श्रेणी : इतिहास / History
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
187
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कह =
= আপিল তি भाति रकम ৬ বাটাজ্হা আউট পরা আন পতি রী सीओ मी ५ ता, जी
तुभे देखना चाहती हैं | फिर मुझ में ही বন্যা হী 8?
कृष्ण ने कहा : यही तो में भी डर रहा हैँ ।
क्यों! अद्रवाहा ने कहा ।
चित्रगंधा ने देखा । ष्ण कह उठा : 'तुम्हीं तो कद्दती थीं कि श्रातर
सुमुख वृद्ध हो गये हैँ | वे भी कभी अ्रपना सम्मोहन डालते थे | तुम्हारा संग
हुआ, वृद्ध हो गये। कहीं मेंने तुम्दारा संग कर लिया ओर मैं भी दृद्ध
हो गया तो !
चित्रगंधा ठठा कर हँसी । भद्रवाहा भेंपी। उसने चित्रगंधा का कान
पकड़ कर कहा : द्वीठ !
चित्रगंघा ने कहा : ले भाभी ! तूने ही तो पहले छेढ़ा था। श्रय कथो
नहीं बोलती ।
पतू चुप रह !! भद्रवाह्ाय ने कह्दा-- कुछ जानती भी है !!
বন্যা हुआ !? चित्रगंधा ने पूछा ।
श्वर-घर गोकुल में बात है |? भद्रवाहा ने कहा--'हर एक गोप चाहता है
कि उसकी बेटी कृष्ण को ब्याही जाये ।!
चित्रगंधा के मुख पर व्यया भलकी | बोली नहीं । सोचने लगी | उसकी
लंबी श्राँखों में मयमादा कलकी | मद्रवाष्ठा ने कहा : कधा) पुष्प का तो
ग्रधिकार है | चाहे जितनी शिरया रखे । यहीं श्राय ॒वुदेव की तेग्ह पलियां
हैं । तेरा यह है न आगे जाकर देखियो | कहीं इसको धनमान मिल गया,
बढ़ा आदमी हो गया तो फिर न जाने क्या करेगा !?
धम्रामी ।? चित्रगंधा ने कहा : तेरा सुमुख तो तुझे देखकर निहाल होता
है। वह दूसरी क्यों नहीं करता !”
“कर ले तो क्या कुछ दोष है !” भद्रवाहाने का ।
कृष्ण गंभीर हो गया था | वह कुछ सोच रद्दा था। दीप जलने लगे थे |
भद्रबाहा ने कहा : क्यों भ्या सोच रहा है!
“कुछ नहीं ।? कृष्ण ने चौंक कर कहा |
चित्रगंधा ने हाथ फैला कर श्रजीब तरह से नीच का होंठ निकाला और
बोली : भाभी ! अच्छा रहता है श्रोर फिर जाने क्या हो जाता हैं इसे । कुछ
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