गोस्वामी तुलसीदास समन्वय साधना प्रथम भाग | Goswami Tulsidas Ki Samanvay Sadhana Pratham Bhag

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Goswami Tulsidas Ki Samanvay Sadhana Pratham Bhag by गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas

Add Infomation AboutGoswami Tulsidas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १० ) भावं उठने लगे निराभिष च्राहार, भक्ति, जस्मांतरबाद, मायावाद, योग साधना, वैराग्य साघना; ऋत-उपवास, तीर्थ-यात्रा आदि बड़े-बड़े आदर्श क्रम्क्रम से आने लगे। भक्ति ओर प्रेम ने द्रविड़ सभ्यता के प्रभाव ही से भारतीय साधना में प्रथम स्थान पाया ! प्रधानतया इन दोनों सभ्यताओं के संगम तीथे पर ही परवर्ती काल में परम ऐश्वयेमय द्विन्दू धर्म का जन्म हुआ। सकाम स्त्रगे लाभ की जगह निष्फराम मुक्ति लाभ तथा कमेकारुड के रथान पर मक्तिवोद की प्रतिष्टा ह। फह्दी-कहदीं प्राकुत भूववाद के साथ-साथ तंत्र तथा मंत्र शाक्ष का योग होने लगा। इस मिश्रण में अच्छे-युरे सभी का मिश्रण हुआ। अथर्ववेद में पभ्राकृत संस्कृति और घैदिक संस्कृति के गंभीर योग फा परिचय मिलत्ता हे। फलस्वरूप, देवता के बदले सलुष्ण तथा स्वर्ग फे बदले प्रंथ्वी के भति जो अनुराग प्रगढ ह्या वह्‌ वैदिक साहित्य भें चूर दै! श्रार्यो ने जब नाग आदि अनाये जात्यो को खदेड़ तव वे खर के किनएरे रहने लगें । আন जातियों: में विवाह संबंध भी दोने लगे । पदले इनकी संतान पिता की जाति की होती थी क्‍योंकि आर्यो में पुरुष प्रधान था; वे “নীল মাগাল্য+ मानते थे । घाद में द्रविड़ जाति के माठ-प्रधान समाज तंत्र के प्रभाव से माता की जाति से सन्तान चलने लगी । यद्‌ तत्र आधान्य अनाये भ्रभाव का फल है । + तीथे (जल) के साथ जिन वस्तुओं का संबंध हैः वे अधि- कांश अतायों से ली गई हेँ। जाल, नौका, सछली, शंख, सिदूर आदि जल समीपी नाग जाति के संपर्क से प्राप्त हुई । नृत्य, गीत, बाद्य भी आरयो ने अनायों से पदण , किये। खख में वेदगान के सिवा नृत्यन्योत निपिद्ध या। शूद्र ड्रारियाँ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now