भजन - संग्रह भाग - ३ | Bhajan Sangarah Part - 3

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Bhajan Sangarah Part - 3 by वियोगी हरि - Viyogi Hari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १९ ) भजन पृष्ठ-संख्या जाश जाग जो सुमिरन करै ( नाम ) १३४ ज्यों त्यों राम नाम ही तारे (১১) ২২০ तेरी गति किनहूँ न जानी हो. ( महिमा ) १३६ नेनों लख लैनी साई ( गुरु-महिमा ) १२५ बाबा काया नगर बसावों ( वेदान्त ) १२६ भया हरि रस पी मतवारा ( नाम ) १३२ मिकि गावो रे साधो यह्‌ बत (3, ) १३३ मुकुट लटक अटकी मनमाहीं ( लीला ) १३५ सखी री आज आनंद देव बधाई (गुरु-महिमा ) १३३ सठ तजि नोव जगतरसेग राचो (नाम) १३१ साधो भोसागरके माहि ( चेतावनी ) १४१ साधो मन मायाके संग ( » ) १४२ सुमिर-सुमिर नर उतरो पार ( + ) १३९ हम बालक तुम माय हमारी ( प्रार्थना ) १३७ हमरे ओषध नबि धनीका ( नाम ) १२८ हमारे गुरु पूरन दातार ( गुरु-महिमा ) १२२ हमारे रुरु-बचननकी टेक ( 3; ) १२४ हरि हर जप लेनी ( चेतावनी ) १४३ इरि बिनु तेरो ना ছিল ( 9) ) १७४




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