पूना गायन समाज भाग - १ | Poona Gayan Samaj Bhag-1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Poona Gayan Samaj Bhag-1 by सवाई प्रतापसिंह - Savai Pratapsingh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सवाई प्रतापसिंह - Savai Pratapsingh

Add Infomation AboutSavai Pratapsingh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
्ज विषयक्रम. गणेशस्तवन ... सरस्वतीस्तवन . . . गोरीपतिस्तवन ... नदकिशोरस्तवन भानवंशवर्णन ... भानवंशीराजवणन जयपूर वर्णन ... राजसंव्तन संगितकों लछन तयत्रिककों लछन गातप्रशंसा गौतकों स्वरूप ... पुरुषशरीरवर्णन पिडोत्पत्ति नादकों प्रकार ... नादका स्थान ... चलवीणाके उतारिवेकों प्रकार श्रुतलश्रण श्रीराधागोविद सगीतसार. के थे के के थी की मातो स्वरको स्वरूप यान साता स्वरके स्थान प्रथम स्वराध्याय- 7 चिपत्र का सात स्वरनके कल जाति वण ट्रिप कांष देवता छंद रस मात स्व॒रोका मंत्र विक्त स्वरनकों लछन विकृत स्वरनके ४२ मेदु विछत स्वर संगीत पार जातक मतसे दूं विकत स्वरनक मिलीके ४ प्रकार - के होश केक के च््के सी वाद संवादि विवाद अनवादि श्रातमडछ चक्र वाणाध्रस्तार चक्र ग्रामक लछन मच्छनाको लछन कहे के कक की केश दाना यामकी ५६ प्रकारकी मच्छना गकेक मुच्छनाके मात सात मेदू अंतर मुच्छना बंगेर तानकों लक्षण संख्या व उदाहरण व मूर््छनाके मेद्‌ भ्गॉ लि अरे ६ बदू ९ ३९० . .४ ९. 0 विषयक्रम शुद्ध चोरासी तावंक्रे लठन गायवेकों फल वगर संगीत मीमांसाके मतसो कट ताननकों ल्ढ्न कछ्4 कक के एक स्वरादिकनके क्रमसा नाम ओइव तानको भेद सेख्या चार म्वरनक तानकी सख्या तीन स्वरनके तानकी संख्या दोय स्वरनके तानकी सेख्या एक म्वरके नानकी संख्या पृनरुक्ति तानकी संख्या ... मच्छनाक भेद... लि कट ताननकी संख्या... मच्छना प्रकरण विरुत मच्छनाके घाइव भेद विरुत मुच्छेनाके ओइव भेद प्रस्तार संग्व्या . . का स्वरकि तानके भेद. ... नए उद्िष्ट खडे मेरुको लढन सातां स्वरके तानके विचार... सरव्याप्रस्तार उद्विष्ठ नष्टको कार गम एक आदि म्वरको प्रस्तार तींनि स्वर ताई. चार स्वरोका प्रस्तार शंच स्वराका पस्तार छ स्वराका प्रस्तार सात स्वराका प्रस्तार ... कही कि थी पके ९० ७० साधारण प्रकरण ग्रामके अन्तर स्वर वगेरे १८५ द्णाछकार स्थाई आरोही भवरों सचारा लछन #..... ? स्थाइंगत अलंकार कि ३० औआरोही अलकार का १२ अवराही अछेकार ... +.... २५ संचारां अलंकार के है पृद6 १९६२ १९ १९१७ ४ गीतनमे गायवेके अलंकार २ ०५ + ५ रागनक अग ही २०७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now