साबुन | SABUN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
13
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
द्विजेन्द्रनाथ मिश्र - DWIJENDRA NATH MISHRA
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“देखें, जली हुई का स्वाद देखें।
श्याम ने कढ़ाई पीछे को करके कहा-“'यह तुम्हारे खाने के काबिल
नही है। लो दाल और ले लो।”
बड़े लड़के ने कहा मैं भी दाल और लूँगा। कक म
श्यामा ने उसके आगे सरकाकर कहा-“ले, दाल ले ! हे
लड़का पतीली में झाँंककर बोला-“कहाँ है की दालः
“दाल नही है। अब तू मेरा सिर खा ले, पेटू !”.....
1 बड़ा भतीजा बाहर दरवाजे पर खड़ा था। उसके स्कूल की आज छुट्टी _
9 थी। कालेज जाने लगा, तो सुखदेव उसका हाथ पकड़कर ,खींचता हुआ , ८
4 ले गया जल्दी-जल्दी बड़ी दूर तक। चार मिनट बाद लड़के ने दही का +»
ह कल्हड़ माँ के आगे ला धरा। 47 एक 9
& कमा उसी जली तरकारी से रोटी खाये जा रही थी ! दह 231]
हे अचरज से पूछा कहाँ से ले आया, रे? बर्थ ही
5 लड़का बाहर को भागता-भागता बोला-“चाचाजी ने दिया है। ड
हर पड़ोस में रहने वाली पंजाबिन बच्चों के कपड़े बहुत सस्ते सीती थी।
उसके आदमी को श्यामा ने पति से आग्रह कर करके, उन्ही के आफिस |
(६ में लगवा दिया था। सुखदेव अपने सब कपड़े जे. बी. दत्ता कम्पनी में
9 सिलवाता था। बच्चों की कमीजें भी पिछली बार उसने वही सिलवाई। वे
| सब कमीजें पहनने पर बच्चों को छोटी हुई, और सिलाई लगी इतनी। #
| देवर-भाभी में एक द्वन्द्र युद्ध हो गया। फलत: इस बार बच्चों की कमीजें
॥ पजाबिन को दीं श्याम ने। सिलाई ऐसी सुघड़ हुई, कि देखकर दिल खुश #£
&3 हो गया। खुश होकर, उसके आगे एक रुपया धरा और हैंसकर
बोली-“'अबकी बार मुन्ना के बाबू की कमीजें भी तुम्हीं से सिलवाऊँगी, 7
” बहिन ! |
“जरूर जरूर बहिनजी ! मुझी से सिलवाना बाबूजी की कमीजें। यह |
| रुपया रख लो, बहिनजी, यह रुपया रख लो।”
श्याम ने कहा-“नही बहिन, सिलाई तो तुम्हें लेनी ही होगी।”'
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