शैतान चुहिया | SHAITAN CHUHIYA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
638 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'ज्व |बिलकुल ही मना कर दिया। बोली--मुझे मिली है रोटी, तुझे क््यों।
5 दूं। तब चिड़िया ने कहा-मैंने तुझे झरने से डूबती हुई को बचाया। ६
#(|था न, इतनी जल्दी भूल गई। चुहिया बोली-मुझे बचाया री क्यों 2.
(6 | बचाया, मैं तो हर हर गंगा नहा रही थी। 9 हि
न तब चिड़िया ने कहा-मैंने तुझे बेर के कांटों से बचाया था न, | है
न | इतनी जल्दी भूल गई। चुहिया बोली मुझे री क्यों बचाया री क्यों | 95
धुत बचाया, मैं तो कच कच कान छिदवा रही थी। तब चिड़िया ने।ह
4 | कहा-क्यों री, मैंने तुझे भेंस के पोटे से दबती हुई को निकाला था स्ञ
3 (८ ५| न, इतनी जल्दी भूल गई। चुहिया बोली-मुझे क्यों बचाया री क्यों |
«६ | बचाया, मैं तो अपनी कमर खुंदवा रही थी। । 22
26 तबचिड़िया ने कहा-मैंने तुझे ऊंट के पैर से मरती को बचाया। £८-
6-
3 अबू के
था न, इतनी जल्दी भूल गई। चुहिया बोली-मुझे क्यों बचाया री।॥& 9 *
क्यों बचाया, मैं तो कट-कट चनक निकलवा रही थी। चिड़िया ने व
सब तरह से समझाना चाहा, किन्तु शैतान चुहिया नहीं मानी। कुटच्डः
| कुट करती अकेली ही सारी रोटी खा गई। चिड़िया को एक भी नहीं 2!
जो जाते जाते वे दोनों एक बामन के खेत पर पहुंची। बामन अपने।9%.
जन |खेत में ज्वार काट रहा था। उसने एक बड़ा भारा बांधकर उठाया। | 9).
“जे |घर की ओर जाने लगा तो चुहिया बोली-चलो अपन इसके घर चले | | कषि>
तब चिड़िया ने कहा-मैं अब तेरे साथ कहीं नहीं चलने की। यहीं | ))
म(|द्धेत में ठहरूंगी। ज्वार का चुग्गा चुगूंगी। बच्चों को संभालूंगी। तेरी | 5:
शैतानी तू भुगत। पर चुहिया तो बेहद चंचल थी। कुछ न कुछ शैतानी
7६ 7
User Reviews
No Reviews | Add Yours...