मोरंगे दिसम्बर 09 | Morango

Morango by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaप्रभात - Prabhat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'मोरंगे' के पाँचवे अंक में दिए गए चित्र पर बहुत सारे बच्चों ने कविता लिखकर भेजी है। कुछ चुनी हुई कविताएँ यहाँ प्रस्तुत हें। 1 फिर भी देख सुन रहा है? आदमी की आँख शरीर पर आदमी की आँख मुँह पर भी हाथ भी नहीं शरीर पर मुँह पर कान नहीं कान तो माथे पर हैं दो आदमी आँखों पर रस्सी बाँध कर चढ़ रहे हैं बेचारा आदमी आँख बंद करके देख रहा है कान बंद करके सुन रहा है दीपक मीणा, उम्र 12 वर्ष समूह-सागर, जगनपुरा 2 ओह उसका सिर उसकी नाक ओह उसका सिर गोल-गोल ओह उसकी नाक लम्बी-लम्बी ओह उसकी आँख गोल-गोल ओह उसके सिर पर बजता बाजा ओह उसके पैर पेड जैसे शरीर उसका गोल-गोल गर्दन उसकी छोटी मूँछ उसकी बड़ी लाडबाई, उम्र 9 वर्ष समूह-सूरज, बोदल 3 पम्प जैसी नाक सिर चपटा-चपटा आँखें गोल-गोल पॉव छोटे-छोटे नाक पम्प जैसी पेट मोटा-मोटा कान छोटे-छोटे जीभ कत्ते की सी पंख तोते जैसे लम्बा पेड़ जैसा रचना, समूह-सूरज, बोदल 4 पैर हैं उसके तंबू जैसे सिर है उसका पट्टी जैसा नाक है उसकी सँूँड जैसी आँख है उसकी नारियल जैसी दाँत है उसके रीछ जैसे पेट है उसका ढोल जैसा हाथ हैं उसके छोटे-छोटे पैर हैं उसके तंबू जैसे रेखा, समूह-सूरज, बोदल 5 आदमी मोटा सा है, छोटा सा है गोल सा है आदमी टोपी उसकी पीली पीली लम्बे उसके कान चलता है वो गोल गोल सा आँखें उसकी लाल जीतू समूह-सूरज, बोदल




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