मेघ की छाया | MEGH KI CHAYA

MEGH KI CHAYA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhप्रभात - Prabhat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिट्टी की गुड़िया मिट्टी की गुड़िया में लचक कमरिया में झालर है लहेंगे में सितारे चुनरिया में गुड़िया हँसे जो हँसी रखी थी बिजुरिया में श अटरिया से एक दिन गिरी उदासी नगरिया में दिन में दिन में चन्दा रे तू ) फीका लगता है पर बिन चीनी के दूध सरीखा मीठा लगता है




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