महके सारी गली गलिन्ब्त | MEHKE SAARI GALI GALINBT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
63
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चित्रकार ने कहा-हो गया, आगे का तैयार।
अब मुंह आप उधर तो करिये, जंगल के सरवार |।
बैठ गया वह पीठ फिराकर, चित्रकार की ओर।
चित्रकार चुपके से खिसका, जैसे कोई चोर।।
बहुत देर तक आंख मूंदकर, पीठ घुमाकर शेर |
बैठे-बैठे लगा सोचने, इधर हुई क्यों देर ।।
झील किनारे नाव लगी थी, एक रखा था बांस।
चित्रकार ने नाव पकड़कर, ली जी भरके सांस ।|।
जल्दी-जल्दी नाव चलाकर, निकल गया वह दूर।
इधर शेर था धोखा खाकर, झुंझलाहट में चूर |।
शेर बहुत खिसियाकर बोला, नाव जरा ले रोक।
कलम और कागज तो ले जा, रे कायर डरपोक ! !
चित्रकार ने कहा तुरत ही, रखिये अपने पास ।
चित्रकला का आप कीजिये, जंगल में अभ्यास ।।
-रामनरेश त्रिपाठी
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