अँधेरे का भूत | ANDHERE KA BHOOT

ANDHERE KA BHOOT by पुस्तक समूह - Pustak Samuhफरीदा खल्अतबरी - Farida Khalatbari

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फरीदा खल्अतबरी - Farida Khalatbari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जन्मदिन की दावत पिछले सालों की तरह नहीं थी । हर कोई डरा हुआ था और अंधेरा होने से पहले घर जाना चाहता था। केवल नन्‍्हा चूहा निश्चिन्त था और इत्मीनान से बैठा हुआ था। रात को जब उसने घर जाना चाहा, तभी उसे अँधेरे का भूत दिखा।




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