रजिया का कमाल | RAZIA KA KAMAAL

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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स्नेहलता शुक्ला - SNEHLATA SHUKLA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वह रोज कुएं के लिए एक-डेढ़ हाथ गहरा गड्ढा खोदती | दिन में सात-आठ घंटे वह इस काम में लगी रहती | कई बार तो रात को उठकर भी खुदाई में लग जाती | धीरे-धीरे गड़ढा गहरा होता गया।| उसमें उतरने के लिए अब रस्सी का सहारा लेना पड़ता ।




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