आकाश दर्शन का आनंद | AKASH DARSHAN KA ANAND

AKASH DARSHAN KA ANAND by पुस्तक समूह - Pustak Samuhराकेश पोपली - RAKSEH POPLI

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राकेश पोपली - RAKSEH POPLI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आकाश-दर्श का आनंद 19 के पार होती हुई दूर के किन्हीं तारों की ओर जाएगी । वर्ष के विभिन्न महीनों में यह रेखा विभिन्न तारों की ओर संकेत करेगी। हम कहते हैं कि तारमंडल में सूर्य की स्थिति बदलती रहती है, या सूर्य विभिन्न राशियों से गुज़रता है। यही कारण है कि किसी भी तारे के उदय या अस्त होने का समय वर्ष-भर समान नहीं रहता, बल्कि प्रतिदिन चार मिनट आगे बढ़ता जाता है। प्रतिमास तारे के उदय होने का समय 120 मिनट यानी दो घंटे पहले आ जाता है और बारह महीनों में चक्र पूरा हो जाता है। चंद्रमा चंद्रमा चट्टानी पदार्थ से बना एक गोल पिंड है, जो पृथ्वी से कोई चार लाख किलोमीटर दूर है | यह प्रथ्वी के गिर्द इस प्रकार घूमता है कि इसकी सतह का एक ही भाग सदा पृथ्वी की ओर रहता है। क्‍ 1 इसी भाग पर खरगोश-जैसी आकृति बनी मन सन हुई दिखाई देती है। चाँद की दूसरी ओर की सतह कैसी दीखती है, यह किसी को मालूम न था। वह तो जब 1959 में रूसी अंतरिक्षयान जूनिक 3 ने चंद्रमा के पीछे की ओर जाकर फ़ोटो खींच लिये, तभी लोग देख पाये। चंद्रमा पर चट्टानें हैं, ' हु हे... पहाड़ और घाटियाँ हैं।पर वहाँ न हवा चित्र 4: चाँद की दूमगी ओर का है, और न पानी ही। इसलिए पेड़-पौधे, अप पशु-पक्षी आदि भी नहीं हैं। यानी वहाँ जीवन नहीं है। चंद्रमा का आकार 15 दिन बढ़ता है और 15 दिन घटता है। यह चक्र लगभग 30 दिन में पूरा हो जाता है, अर्थात एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा तक इतना समय लगता है।परंतु यदि तुम लत वी कतई




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