खोया हुआ जन्मदिवस | STORY OF LOST CALENDERS
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
53
श्रेणी :
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राकेश पोपली - RAKSEH POPLI
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खोया हुआ जनदिन 19
नहीं हो सकता । विलियम, तुम्हारा जन्मदिन भी हमेशा फ़रवरी महीने के अंत में या मार्च के
शुरु में ही पड़ेगा। ”
विल्लू तो खुशी से नाचने लगा, पर पिंकी का चेहरा गंभीर था। उसने कहा, “दीदी,
हमारी समझ में नहीं आया कि देशी तिथियाँ आगे-पीछे क्यों हो जाती हैं। अगर तिथियाँ
निश्चित समय पर न आयें तो कैलेंडर का फायदा ही क्या है? '
अब सब चुप हो गये, क्योंकि कोई नहीं जानता था । आखिर दीदी ने कहा, “दिखो,
देशी तिथियाँ चलती हैं चाँद की कलाओं के अनुसार, और अंग्रेज़ी दिनांक है सूर्य के अनुसार ।
दोनों में बढ़िया तालमेल नहीं है। इसीलिये देशी तिथियाँ अंग्रेज़ी तारीखों के साथ मेल नहीं
खाती।
प्राय: सव ने सहमति में सिर हिला दिया, पर विनोद को संतोष न हुआ | वह बोला,
“सूर्य और चंद्रमा तो देवता हैं। फिर वे साथ मिल कर क्यों नहीं चल सकते ?
दीदी ने हँस कर कहा, “क्यों, देवताओं में झगड़ा नहीं होता है क्या ? अच्छा, अभी
देवताओं की बात रहने दो। विज्ञान की दृष्टि में सूर्य और चाँद भी पदार्थ से बने हैं, जैसे
हमारी पृथ्वी है। दोनों की गति प्रकृति के नियमों से बँधी है । हमें इनकी गति की पूरी बात
समझनी होरी। ”
साहवा का भी एक प्रश्न था, “दीदी, आप तिथि के बारे में 'कृष्ण' क्या कह रही थीं?
क्या कृष्ण भगवान का जन्म होता है उस दिन?”
दीदी : “नहीं। देशी महीने के दो भाग होते हैं --- एक कृष्ण पक्ष यानी काली रातें;
दूसरा शुक्ल पक्ष यानी उजली रातें। कल इसी की चर्चा करेंगे। लेकिन आज रात में चाँद
को ज़रूर देखना और कल बताना कि कैसा दिखाई दिया। ”
पहेलियों के उत्तर
पृ०2 : श्री मोरारजी देसाई (जन्म : 29 फरवरी 1896 ; भारत के प्रधानमंत्री :
1977-79 )
पृ०4 : जन्मदिन : 30 जून; कक्षा 5 पृ० 5 : 45 वर्ष, 15 वर्ष ।
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