खिड़की से जो दिख रहा है | KHIDKI SE JO DIKH RAHA HAI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
4
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कृष्ण कुमार - Krishn Kumar
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जिस-जिस तरह के उपकरण, जिस-जिस
तरह के स्रोत उपलब्ध हैं उनकी तरफ वह
स्वयं लालायित होगा. आज की शिक्षा की
इस कमज़ोरी को, कि वह इतनी रिजिड है,
बंधी हुई है नियमों से कि हम खुद भी डरते
हैं कुछ नया करने से और बच्चे को भी
डराते हैं नया करने से. इसलिए बावजूद
इसके कि हम अन्य तमाम क्षेत्रों में भारत को
आज एक नयी तरह की दिशाओं में बढ़ता
हुआ देखते हैं, शिक्षा में हम नहीं कर पाते
हैं, क्योंकि हम नवाचार से एक तरह से
78 + भवन्स नवनीत + सितंबर 2015
“.७छ७0..०-- 8 सस3.--__... रत
रोने का अधिकार नह
1960 में जब मैं तीसरी कक्षा का विद्यार्थी था तो हमारे स्कूल वाले
पीड़ा-प्रदर्शनी के लिए हमें एक टूर पर ले गये जहां हम अपने अध्यापक
के निर्देशन में फ़ूट-फूट कर रोये. अपने अध्यापक की सुविधा के लिए
__ मैंने गालों से आंसू पोंछे नहीं और मैंने देखा कि मेरे कुछ सहपाटियों ने
-अपने हाथ में थूक कर उसे अपने चेहरे पर आंसू जैसा दिखाने के लिए
रगड़ लिया. उन सब रोते छात्रों में- कुछ सच्चे, कुछ झूठे- मैंने एक
छात्र को देखा जिसका चेहरा बिल्कुल सूखा था और जो अपना चेहरा हाथों
में बिना छिपाये चुपचाप बैठा रहा. यात्रा के बाद मैंने अध्यापक को उसके
बारे में बताया और उसे अनुशासनात्मक चेतावनी दी गयी. बरसों बाद जब
- मुझे उस छात्र के बारे में बताने पर पछतावा हुआ तो अध्यापक ने बताया
कि कम से कम दस छात्रों ने वैसा ही किया था, जो मैंने किया. दस साल
या और पहले उस लड़के का निधन हो चुका था और उसकी याद से मेरी
आत्मा बहुत विचलित होती. लेकिन इस घटना से मुझे एक सीख मिली
और वह यह कि जब तुम्हारे चारों ओर हर कोई रो रहा हो, तो तुम्हें
-- ने रोने का पूरा हक है. जब आंसू प्रदर्शन के लिए ज़रूरी हैं, तब भी
॥ तुम्हारा न रोने का अधिकार महत्तर है.” न
संकोच करते हैं, डरते हैं. और इसी प्रवृत्ति
को हम बच्चों में भी उत्पन्न करते हैं. इस
कमज़ोरी को हम दूर कर सकें तो ये जो
संविधान ने निर्धारित किया है उद्देश्य, एक
लोकतांत्रिक समाज बनाने का और उस समाज
के लिए ऐसा नागरिंक बनाने का जो खुद
अपने दिमाग से सोच सकता हो, निर्णय ले
सकता हो, जिसको दुनिया के किसी भी
जटिल प्रश्न से डर न लगता हो, जो प्रश्नों
से भागता न हो बल्कि उनसे जूझता हो, पूरा
हो सकता है. तब एक नागरिक बनेगा. (1
- मो यान
यात्रा-कथा
[क तरगामम् में रात्रि विश्राम एक
कु आश्रम में होता है. आश्रम मंदिर
का एक हिस्सा है. मंदिर स्वामी
कार्तिकेय, माता देवयानी और माता वलीम्मा
का है. मंदिर की 700 एकड़ भूमि है; जिस
पर कब्जा बौद्धों का है. बाबा कल्याणदास
जी ने वर्षों पूर्व इस क्षेत्र में आकर मंदिर की
सुरक्षा की है. कल्याणदास जी की परम्परा
में इस मंदिर में कई संतों ने अपनी सेवा
देकर जीवन अर्पण कर दिया है. वर्तमान में
उस संत परम्परा में पूर्णानंद स्वामी जी हैं.
मंदिर में और भी दो-चार सेवाभावी जन हैं.
विशाल परिसर में स्वामी कार्तिकेय का मंदिर
बना है. द्वार के दोनों ओर, द्वार के शीर्ष
पर, मंदिर परिसर के परकोटे पर मयूर ही
मयूर की आकृततियां हैं. मयूर कार्तिकेय का
वाहन है. सम्पूर्ण श्रीलंका में यत्र-तत्र सर्वत्र
मयूर नाचते-गाते-चलते-उड़ते देखे जा सकते
हैं. यह क्षेत्र कार्तिकेय का है.
कार्तिक स्वामी जब कैलाश से चलकर
इस क्षेत्र में आये तब उनका विवाह देवयानी
से हो चुका था. यह क्षेत्र यक्षों, नागों और
असुरों का था. उनका युद्ध एक शिकारी
कबीले के सरदार से होता है. कार्तिक स्वामी
उसे युद्ध में परास्त करते हैं. शिकारी की
कन्या “वली' रहती है. उससे कार्तिक स्वामी
का विवाह होता है. वलीम्मा कार्तिकेय की
दूसरी पत्नी है. अत: कार्तिकेय श्रीलंका के
दामाद हैं. यहां के लोगों ने कार्तिक स्वामी
को वापस भारत न जाने का आग्रह किया.
सितंबर 2015 + भवन्स नवनीत + 79
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