हमें धूमकेतुओं के बारे में कैसे पता चला ? | HOW DID WE KNOW ABOUT COMETS?
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
30
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जो नतीजे आए वो चौका देने वाले निकले। हेली के काल में शनि ग्रह को
सूर्य से सबसे अधिक दूर समझा जाता था। पर वो सूर्य से कभी भी
1,500,000,000-किलोमीटर से अधिक दूर नहीं था। पर 1682 का धूमकतू सूर्य
से 5,150,000,000-किलोमीटर दूर गया। उसने फिर मुडकर दुबारा सूर्य की ओर
अपने अंडाकार पथ पर यात्रा शुरू की। यानि यह धूमकतू, शनि-ग्रह की तुलना
में सूर्य से तीन-गुना दूर गया था। दूसरी ओर जब धूमकंतू सूर्य के पास स्थित
एलिप्स के सिरे से गुजरा तो उस समय वो सूर्य से केवल
87,000,000-किलोमीटर की दूरी पर था। यह दूरी पृथ्वी से सूर्य की दूरी की
आधी थी।
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धूमकेतू की कक्षा की गणना करने के बाद हैली ने भविष्यवाणी की कि वो
धूमकेतू दुबारा 1758 में प्रकट होगा और वो आसमान में एक विशिष्ट पथ पर
यात्रा करेगा।
हैली, धूमकेतू की वापसी तक जीवित नहीं रहे। 1742 में 82 वर्ष की आयु
में उनका देहांत हुआ। इसीलिए वो धूमकतू की वापसी को देख नहीं पाया।
पर अन्य लोगों ने धूमकेतू की वापसी को अवश्य देखा। फ्रेंच खगोलशास्त्री
एलेक्सिस क््लाड क्लेराइट ने हेली द्वारा सुझाए पथ का अध्ययन किया। उसे लगा
कि बृहस्पति, नेपच्यून जैसे बड़े ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धूमकेतू के
आगमन में कुछ देरी होगी। वो 1759 तक सूर्य के पास से नहीं गुजरेगा।
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