प्रभात समीरण उर्फ़ सुबह की हवाएं | PRABHAT SAMEERAN URF SUBAH KI HAWAYEN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
147 KB
कुल पष्ठ :
4
श्रेणी :
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श्रीलाल शुक्ल - Shrilal Shukl
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/11/2016
छाया था। कमल मुकुलित था तो कोककुल प्रफुल्लित होने वाला था। खगकुल्र कुलकुलायमान। तारकुल तमतमायमान
था। ऐसे काल में दो प्रेमी पितृहीन हो कर, शत्रुहीन हो कर, अर्थात निष्कंटक अवस्था में अश्वों पर चढ़े वही गान
गाते हुए लौट रहे थे जो उन्होंने कुछ काल पूर्व अपनी रथ-यात्रा में गाया था। ओम शांति:।
(अब चारों ओर बहार छा गई। लाल-लाल सूरज आसमान में लटक आया। पेड़ों की फुनगियों पर रंगीनियाँ बिखर गई।
कमल मुरझाने लगा तो कोकाबेली फूलने लगी। चिड़ियाँ चहकीं, तारे चमके और अपने बापों को गँवा कर, दुश्मनों को
मिटा कर, यानी सब मुसीबतें सुलझा कर मस्ती के साथ, घोड़ों पर चढ़े हुए, दो इश्कपरस्त वही गाना गाते हुए वापस
लौटे जो कुछ दिन हुए उन्होंने बैलगाड़ी पर बैठ कर गाया था। दि एंड।)
टिप्पणी... आज के चलन के अनुसार इस कहानी के फिल्मों का शीर्षक 'प्रभात समीरण' उर्फ 'सुबह की हवाएँ'
इसीलिए रक््खा गया है कि इसमें सुबह की हवाओं का कोई जिक्र नहीं है।
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