मधुशाला | MADHUSHALA

MADHUSHALA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhहरिवंश राय बच्चन - Harivansh Rai Bachchan

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हरिवंश राय बच्चन - Harivansh Rai Bachchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जब न रहूँगा मैं, तब मेरी याद करेगी मधुशाला | | 71 | | ध्यान मान का, अपमानों को छोड़ दिया जब पी हाला, गौरव भूला, आया कर में जब से मिट्टी का प्याला, साकी की अंदार्जभरी झिड़की में क्या अपमान धरा, दुनिया भर की ठोकर खाकर पाई मैंने मधुशाला | | 72 | | क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर दुर्बल मानव मिट्टी का प्याला, भरी हुई है जिसके अन्दर कर्टुमधु जीवन की हाला, मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शर्तशत कर फैला, काल प्रबल है पीनेवाला; संसृति है यह मधुशाला | | 73 | | प्यार्लेंसा बढ़ हमें किसी ने भर दी जीवन की हाला, नशा न भाया, ढाला हमने लेलेकर मधु का प्याला; जब जीवन का दर्द उभरता उसे दबाते प्याले से; जगती के पहले साकी से, जूझ रही है मधुशाला | |74 | | अपने अंगूरोंसे तन में हमने भर ली है हाला, क्या कहते हो, शेख, नरक में हमें तपाएगी ज्वाला, तब तो मदिरा खूब खिंचेगी और पिएगा भी कोई, हमें नरक की ज्वाला में भी दीख पड़ेगी मधुशाला| |75 | | यम आएगा लेने जब, तब खूब चलूँगा पी हाला, पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला,




User Reviews

  • mukeshjaa334

    at 2019-06-26 10:04:56
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "This epustakaly is awsome . It provides all my wish books"
    Woooow.....
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