राजा नंगा धडंगा है | RAJA NANGA DHARANGA HAI

Book Image : राजा नंगा धडंगा है  - RAJA NANGA DHARANGA HAI

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

कमला बकाया - KAMALA BAKAYA

No Information available about कमला बकाया - KAMALA BAKAYA

Add Infomation AboutKAMALA BAKAYA

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पर राजा को बीमारी थी, कपड़े की हाजत जारी थी। दो गुंडों ने मौक़ा पाया, दरबार में धमके, फ़रमाया: कपड़ा नायाब बनाते है, जौहर उसमें दिखलाते हैं, सोने की तारें चुनते हैं, हम उनसे कपड़ा बुनते हैं। चांदी की वह गुलकारी हो कि लट्टू दुनिया सारी हो। वह रंग अनोखे लाएँगे कि फूल तलक शर्माएँगे। इस कपड़े में जो टोना है सो चाँदी है न सोना है। बस अक़ल ही जिसने पाई है देता उसको दिखलाई है। राजा को फाँसा चक्कर में, था जादू उनके मक्‍कर में। सोने-चाँदी के ढेर लगे, वह सेरों के ही सेर लगे। इक कोठा सारा अपनाया, सामान उसी में धरवाया। क्या कहने ख़ातिरदारी के, थे ठाठ वहाँ सरकारी के। लेते जाते थे मनमाना, था मना मगर अंदर आना। थोड़ा कपड़ा बुन लें भाई, जिससे कुछ दे तो दिखलाई। कल शाम तलक कुछ हो जाए, जिसका मन हो, बेशक आए। यूँ करते-करते रात हुईं, कल पर ही सारी बात हुई। फिर कल भी तो आख़िर आया, वज़ीर राजा ने भिजवाया,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now