राजा नंगा धडंगा है | RAJA NANGA DHARANGA HAI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
11
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कमला बकाया - KAMALA BAKAYA
No Information available about कमला बकाया - KAMALA BAKAYA
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पर राजा को बीमारी थी,
कपड़े की हाजत जारी थी।
दो गुंडों ने मौक़ा पाया,
दरबार में धमके, फ़रमाया:
कपड़ा नायाब बनाते है,
जौहर उसमें दिखलाते हैं,
सोने की तारें चुनते हैं,
हम उनसे कपड़ा बुनते हैं।
चांदी की वह गुलकारी हो
कि लट्टू दुनिया सारी हो।
वह रंग अनोखे लाएँगे
कि फूल तलक शर्माएँगे।
इस कपड़े में जो टोना है
सो चाँदी है न सोना है।
बस अक़ल ही जिसने पाई है
देता उसको दिखलाई है।
राजा को फाँसा चक्कर में,
था जादू उनके मक्कर में।
सोने-चाँदी के ढेर लगे,
वह सेरों के ही सेर लगे।
इक कोठा सारा अपनाया,
सामान उसी में धरवाया।
क्या कहने ख़ातिरदारी के,
थे ठाठ वहाँ सरकारी के।
लेते जाते थे मनमाना,
था मना मगर अंदर आना।
थोड़ा कपड़ा बुन लें भाई,
जिससे कुछ दे तो दिखलाई।
कल शाम तलक कुछ हो जाए,
जिसका मन हो, बेशक आए।
यूँ करते-करते रात हुईं,
कल पर ही सारी बात हुई।
फिर कल भी तो आख़िर आया,
वज़ीर राजा ने भिजवाया,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...