लाइब्रेरी वाली लडकी | LIBRARY VALI LADKI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
11
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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विश्वप्रिया आयंगर - VISHWAPRIYA AIYANGAR
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की फीस को लेकर कहा-सुनी हुई थी या फिर स्कूल मास्टर से फीस के
बारे में अम्मी की तकरार हुई थी।
स्कूल छूटने के दो दिन बाद ही अम्मी उसे सैर-सपाटे के बायदे के साथ
रिक्शा पर बाज़ार लेकर गईं थीं। अम्मी को भड़कीला पीला रंग चाहिए
से बात करते देख दुकानदार भी एक बार तो हँस पड़ा था। लेकिन अम्मी
को आखिरकार पसंदीदा रंग मिल ही गया। साथ उन्होंने चांदी के
-सितारे भी खरीदे। सूरज ओर सितारे, गोधूलि के समय रिवशे की
घंटी की आवाज़ को सुनते ओर सांझ के आसमान को ताकते हुए उसने
सोचा, उदासी और खुशी के मिले-जुले एहसास के साथ ।
कई दिनों से तलत बेसब्री से दुआ करती रही है कि परिवार में जल्द
कोई शादी हो ताकि उसे अपना नया घाघरा पहनने का मौका मिले | लेकिन
अर्से से कोई ऐसा मोका आया ही नहीं ।
__.__ :_मनाबर- -०-० न: लससस समन मनन.
अम्मी रात भर बैठकर तलत के लिए घाघरा-कमीज सिलती रहीं । मिट्टी
के तेल की चिमनी जल-जलकर धुएँ से काली पड़ चुकी थी लेकिन
ने काम निपटा कर ही दम लिया । जब उन्होंने कमीज़ पर सलमा-सितारे
ठाँकने का काम शुरू किया तो सुबह होने को आ गई थी और तलत
गिनतियाँ करते-करते सो चुकी थी। अब उसे देर तक सोने से भी कोई
फ़र्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि अगली सुबह उसे स्कूल तो जाना नहीं था ।
एक दिन उसने अम्मी-अब्बा को बुरी तरह झगड़ते देखा। वो
घबरा उठी थी। अम्मी पूछ रही थीं कि क्योंकर ताहिर की पढ़ाई के लिए
पैसा है लेकिन तलत की पढ़ाई के लिए नहीं है? अब्बा पहले तो हैंस पड़े
ओर बाद में चिल्लाने लगे थे। उस बकक्त वह घर के बाहर नाली के किनारे
खड़ी होकर ये सब सुन रही थी। ''चाहो तो उसे रेशम, मखमल, चाँदी
बेवकूफ ओरत, ताहिर से उसकी तुलना मत
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