पिप्पी, एमिल , मार्दी और कार्लसन के मजेदार कारनामे | PIPPI, EMIL, MARDI AUR CARLSON KE MAZEDAR KARNAAME

PIPPI, EMIL, MARDI AUR CARLSON KE MAZEDAR KARNAAME by अरुंधती देवस्थले - ARUNDHATI DEVSTHALEआस्ट्रिड लिंडग्रेन - ASTRID LINDRINपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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30 “होना तो चाहिए,” पिप्पी ने कहा। “सारी दुकानों में मिलता है।” “हाँ, लगता है, हमारे यहाँ खत्म हो गया है,” उस औरत ने कहा | उसने “स्पिंक' के बारे में पहली बार सुना था लेकिन वह दिखाना चाहत्ती थी कि सभी अच्छी दुकानों में जो भी होता है, वह उनके पास भी होता है। “ओह, तो यह कल तक आपके पास था!” पिप्पी खुशी से चिललाई। “ज़रा बताएँ तो कैसा लगता है? मैंने ज़िंदगी में “स्पिंक कभी नहीं देखा। क्या उस पर लाल धारियाँ होती हैं?” वह सुंदर औरत झेंप गई और उसने कहा, “नहीं, मैं नहीं जानती, वह क्‍या चीज है! बस इतना पता है कि हमारी दुकान में नहीं है।” निराश होकर दरवाजे की तरफ जाते पिप्पी ने कहा, “मतलब यही कि मुझे ढूँढते रहना होगा। 'स्पिंक' लिए बिना मैं घर नहीं लौट सकती।” आगे निकलकर देखा तो लोहे के सामान की एक दुकान मिली। दुकानदार ने बड़े प्यार से बच्चों का स्वागत किया। “मुझे “स्पिंकः खरीदना है,” पिप्पी ने कहा। “बहुत अच्छा और मजबूत जो श्ेेरों को मारने के काम आ जाए।” वह दुकानदार लोमड़ी की तरह चालाक नज़र आ रहा था। “चलो देखें ।” कुछ देर तक तो वह असमंजस में कान के पीछे खुजलाता रहा। फिर उसने एक खुरचने वाला औज़ार दिखाकर पिप्पी से पूछा, “यह ठीक रहेगा?” पिप्पी ने बिगड़कर उसकी तरफ देखा। “इसे समझदार लोग खुरचनेवाला औजार कहते हैं। मैं 'स्पिंक' माँग रही हूँ। बच्चा समझ के मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश मत करो 0” यह सुनकर वह दुकानदार हँस दिया। उसने माना कि उसके पास स्पिंक' नाम की कोई चीज नहीं है। उसने कहा, “आगे चौराहे पर एक दुकान है, वहाँ तरह-तरह की नई चीज़ें बिकती हैं।” “तरह-तरह की चीज़ें,” पिप्पी ने बाहर निकलने पर टॉमी और अन्निका से कहा, “मैं जानती हूँ, उस दुकान में “स्पिंक' नहीं मिलेगा ।” फिर अचानक उल्लास से कहने लगी, “शायद यह कोई बीमारी हो। चलो जाकर डॉक्टर से पूछते हैं।” 51




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