दलुदास के हाथ क्यों कटे | DALUDAS KE HAATH KYOON KATE

DALUDAS KE HAATH KYOON KATE by पुस्तक समूह - Pustak Samuhसंजय झा - SANJAY JHAA

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संजय झा - SANJAY JHAA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामरतिया है। फुलिया दलुदास की इकलौती बेटी है। उसकी शादी बगल के गाँव तेलहर में काफी पहले हुई थी। फुलिया के ससुर सहरसा कचहरी में चपरासी के पद पर हैं | दलुदास और उसकी पत्नी को केवल अपने काम से मतलब रहता है। गाँव की राजनीति से उन्हें कोई लेना-देना नहीं। मुरादपुर गाँव के सबसे बड़ा जमींदार का घर हवेली के नाम से मशहूर है। दलुदास इस हवेली में बचपन से ही काम करता था। एक तरह से दलुदास बंधुआ मजदूर था । जमींदार के खलिहान की देखभाल और मवेशी चराने का काम दलुदास का था। रमरतिया हवेली में चौका-बर्त्तन से लेकर कूटान-पीसान करती थी। लक्ष्मीपुर टोला में चालीस घर गरीबों के हैं। सब कबीर पंथी हैं । जब कभी दलुदास फुर्सत में अपनी झोपड़ी में होता तो कबीर का निर्गुण भजन गाया करता वह निर्गुण गाने में माहिर था। सांच को कभी न आंच लागो रे, निर्गुण पद दलुदास गुनगुनाता रहता। मुरादपुर गाँव में एक बार खूब बाढ़ आई। सब कुछ डूब गया । लक्ष्मीपुर टोला का तो नामोनिशान मिट गया। दो महीने तक सब रिंग बांध पर खुले आसमान के नीचे रहे। माल, मवेशी, फसल सब बर्बाद हो गयी। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए। लक्ष्मीपुर टोला के लोगों पर जमींदार का कर्ज चढ़ता ही गया। बाढ़ का पानी जब गया तो लोगों ने महाजन से कर्ज लेकर अपनी- अपनी झोपड़ी बनाई। दलुदास ने भी चार सौ रुपये का कर्ज _ जमींदार से लिया | बाढ़ की तबाही के बाद भुखमरी और महामारी फैलने लगी | तभी विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई । राजनीतिक दलों के उम्मीदवार प्रचार करने लगे। मुरादपुर गाँव में चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई। नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया। धूल उड़ाती जीप के पीछे गाँव के बच्चों का झुंड नंग-धड़ंग 4 किमी मिमनन आओ ह। हर कै 18 के ः ५०2 दौड़ता था। दलुदास भी तेज कदमों से जीप के पीछे-पीछे जाता था। जहाँ जीप रूकती, वहाँ भाषण होता। एक दिन में पाँच-सात जीप आती थी। सारे नेता भाषण देते। आश्वासन देते। वे कहते थे . कि बाढ़ अब कभी गाँव नहीं आएगी। गरीबों को रोजगार दिलाया जाएगा। घर बनाने के लिए सरकार से कर्ज मिलेगा।. एक पार्टी का निशान था गुलाब का फूल। दूसरा पार्टी का निशान था मोटरगाड़ी । तीसरा पार्टी का साइकिल का चक्का | चौथा 5




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