हल | HAL
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
12
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पंकज बिष्ट - Pankaj Bishta
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ गए बिजूका पर कपड़ा झूलता है। ठंड लगी होगी और उसने छाती 9)
| पकड़ ली। ऐसे में डबल निमोनिया न होता तो क्या होता! उसका मन | 9*
«<9 | दुख से कुछ इस तरह बोझिल हो गया कि गाँव की चढ़ाई अंतहीन |णि
| और असम्भव-सी लगने लगी।
। घर पर पता चला भागुली को रोते-रोते गश आ गया है। घंटे भर
| से होश नहीं है। पर घंटा काफी लम्बा साबित हुआ। अगले दो दिन
न तक वह लगातार बेहोश रही। जब कभी जरा भी होश में आती शिबिय £ |
'ज्ञ्क्ष॥ को पुकारने लगती। भागुली की बेहोशी से घबराकर दूसरे दिन उसने
“11 इगरसिंह को तार कर दिया था। शायद कल-परसों तक आ पहुँचे। |
<>4| पर अब लगता है कि जैसे गलती हो गई हो। आज भागुली सुबह से पर ह
»0| काफी ठीक थी और बीच में एक बार होश आने पर काफी देर ठीक-ठाक सा
227]
>1॥ है अब। चिन्ता की कोई बात नहीं। बस सोने की दवा दे रहा हूँ, 0)
«3५ तक बिल्कल चंगी हो जाएगी। पर
|. बीच में जब भागुली की तंद्रा टूटी थी तो वह उसके पास जा बैठा | न
हु था। धीरे-धीरे उसने ढाँढस बैंधाना शुरु किया, ““अब ऐसे कहीं चलता | (ई-
(६ | है भला। बाल-बच्चों का मुँह देख। हिम्मत हारने से जिन्दगी नहीं। | >
46 | चलतीहै। !
मै स्वयं भागुली के ही न जाने कितने बच्चे मरे थे पर उसके इस तरह |
“डत1। बेसुध हो जाने से ही शायद लोग कुछ हैरान थे रह-रह कर समझाते, 8
गए
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