कितना शोर | KITNA SHOR

KITNA SHOR by पुस्तक समूह - Pustak Samuhराजेश के० - RAJESH K.रोहिणी निलेकनी -ROHINI NILEKANI

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राजेश के० - RAJESH K.

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रोहिणी निलेकनी -ROHINI NILEKANI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 है | ॥ हे | जल्दी ही वह एक नए कस्बे में पहुँचा। शोर गुल वाले उस कस्बे में उसने शोर मचाते हुए वहाँ के लोगों को देखा। एक युवक पास से गुज़रा। उसके कान से कुछ तारें टंगी हुई थीं। श्रिंगेरी श्रीनिवास को 'टिंग टैंग, टिंग टैग” की आवाज़ भी सुनाई दी।




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